जोशीमठ में 700 से अधिक घरों से लोगों को खाली करने की जरूरत है, जिसके बारे में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (राप्रा) ने बताया।
उसके अनुसार, कुल मिालकर 131 परिवारों को अपने घरों से अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया। इसके साथ नगर में ग्रस्त इमारतों की संख्या 723 हो गई।
जबकि जोशीमठ में ज्यादा इमारतों को नुकसान किया जा रहा है, उत्तराखंड राज्य के अधिकारी दो होटलों को गिराने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि संभव है कि वे पड़ोसी इमारातों पर गिरनेवाले हैं।
जोशीमठ चीन के साथ भारत की सीमा से केवल 50 किलोमीटर दूर है और बद्रीनाथ यानी हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह अनुमान लगाया जाता है कि इस नगर में भूमि धंसाव का कारण जलभर में बदलाव हो गया, जिसके नतीजे में पानी निकलने लगा और भूमि धंसाव शुरू हुआ। भूमि धंसाव की घटनाओं के बीच जोशीमठ को भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया है।