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जोशीमठ में धंसाव के चलते प्रशासन ने लोगों से राहत केंद्रों में जाने को कहा

© AP Photo / Rafiq Maqbool Cars are seen on a road destroyed by landslides and floods, in Joshimath, India, Friday, June 21, 2013. The heavy rains caused by the annual monsoon have left more than 500 people dead and stranded tens of thousands, mostly pilgrims, in India’s northern mountainous region, officials said Friday.
 Cars are seen on a road destroyed by landslides and floods,  in Joshimath, India, Friday, June 21, 2013. The heavy rains caused by the annual monsoon have left more than 500 people dead and stranded tens of thousands, mostly pilgrims, in India’s northern mountainous region, officials said Friday.  - Sputnik भारत, 1920, 09.01.2023
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भूमि धंसाव की घटनाओं के बीच जोशीमठ को भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया है। प्रशासन ने क्षतिग्रस्त घरों की पहचान करना शुरू कर दिया है। जो घर रहने के लिए सुरक्षित नहीं हैं उनपर रेड क्रॉस का निशान लगाया जा रहा है।
उत्तराखंड के जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों में कई घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं, जिससे लोग घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ भूस्खलन और धंसाव से प्रभावित निवासियों को तत्काल राहत और बचाव सुनिश्चित करते हुए क्षेत्र में चल रहे सभी विकास कार्यों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रभावित स्थानीय लोगों को हर संभव मदद करने और राहत कार्यों में तेजी लाने का भी निर्देश दिया है।
इस बीच, चमोली के जिलाधिकारी (डीएम) हिमांशु खुराना ने प्रभावित क्षेत्र में हुए नुकसान का आकलन किया और जिन घरों में दरार आ गईं हैं उस घर में रह रहे लोगों से राहत केंद्रों में जाने का आग्रह किया। चमोली जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, जोशीमठ शहर की 603 इमारतों में दरारें आ गई हैं। अभी तक लगभग 68 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में ले जाया गया है।
बता दें कि प्रशासन ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 33 और 34 के तहत जीवन और संपत्ति के जोखिम का आकलन करने के बाद, अत्यधिक भूस्खलन की संभावना वाले और असुरक्षित समझे जाने वाले क्षेत्रों से स्थानीय लोगों को तत्काल खाली करने का भी आदेश दिया है।

गौरतलब है कि राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में साल 2000 के बाद से प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कम से कम 5,731 लोगों की जान चली गई, जबकि 2,000 से अधिक घायल हो गए।
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