भारतीय गणतन्त्र दिवस स्वतन्त्रता दिवस और महात्मा गांधी की जयंती सहित भारत का राष्ट्रीय अवकाश है। इसके साथ यह सब लोगों के लिए छुट्टी का दिन है, इस दिन सभी स्कूल और व्यवसायी लोग अपने व्यवसाय राष्ट्रप्रेम की वजह से बंद रखते हैं ।
भारत में गणतन्त्र दिवस क्यों मनाया जाता है?
15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटेन से स्वतंत्र हो गया था, लेकिन उसका अपना संविधान नहीं था। 4 नवंबर 1947 को संविधान का पहला मसौदा प्रस्तुत किया गया। 24 जनवरी 1950 को अंग्रेजी और हिंदी भाषा में संविधान के अंतिम संस्करणों पर हस्ताक्षर किए गए।
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया। उसी दिन डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। संविधान बनाने के बाद 1935 के भारत सरकार अधिनियम का भारत में प्रयोग खत्म किया गया।
भारत में गणतन्त्र दिवस कैसे मनाया जाता है?
भारत में गणतन्त्र दिवस के लिए कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बहुत सारा आयोजन किया जाता है। नई दिल्ली और राज्यों की राजधानियों में बड़े सैन्य परेडों की आयोजना की जाती है, जिन में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना भाग लेती हैं।
इस दिन, भारतीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराई जाती है। इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश के प्रसिद्ध नागरिकों और बहादुर सैनिकों को पुरस्कार दिया जाता है।
परेड से पहले भारत के प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर मृत सैनिकों के सम्मान में कुछ क्षण मौन धारण करते हैं।
इस दिन पूरे देश में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सार्वजनिक समारोह आयोजित किए जाते हैं।
भारत में गणतन्त्र दिवस इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
लोग गणतन्त्र दिवस उस दिन के रूप में मनाते हैं जब भारत को चलाने के लिए लोकतंत्र और न्याय व्ययवस्था की स्थापना की गई थी।
इसके साथ गणतन्त्र दिवस लोगों को संविधान को बनाने के प्रयासों की याद दिलाने के लिए मनाया जाता है। संविधान की मदद से भारत के नागरिकों को ऐसी सरकार चुनने का मौका मिला जो उनको पसंद हो।
इसके अलावा 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी, जिसको ब्रिटेन से स्वतंत्रता के लिए पहला कदम कहा जाता है।