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अदालत में चश्मदीद ने रुबैया सईद अपहरण मामले में यासीन मलिक की पहचान की

रुबैया सईद का 8 दिसंबर, 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अपहरण कर लिया गया था। केंद्र की भाजपा समर्थित वी पी सिंह सरकार द्वारा बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा किए जाने के पाँच दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
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जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ)* का प्रमुख यासीन मलिक शुक्रवार को एक विशेष अदालत के समक्ष वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ पेशी के दौरान एक चश्मदीद ने 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में उसकी पहचान की।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि चश्मदीद ने पुष्टि की कि वह रुबैया सईद के अपहरण के समय उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर गया था। अभियोजन पक्ष ने इसे अपने पक्ष के लिए एक बड़ी सफलता करार दिया।

“आज रूबैया सईद अपहरण मामले के संबंध में टाडा अदालत के विशेष न्यायाधीश के साथ यासीन मलिक का मामला था। हमने दो चश्मदीद गवाहों नंबर 7 और नंबर 13 को तलब किया था। चश्मदीद नंबर 13 अदालत में मौजूद था और चश्मदीद नंबर 7 स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सका," वरिष्ठ लोक अभियोजक एस. के. भट ने संवाददाताओं से कहा।

उन्होंने आगे कहा कि 13 नंबर के गवाह का बयान दर्ज किया गया और इस दौरान यासीन मलिक वर्चुअल माध्यम से जुड़ा था, उसके साथ मामले के अन्य आरोपी भी अदालत में मौजूद थे।
भट ने आगे कहा कि चश्मदीद गवाह जिसने वर्चुअल माध्यम से मलिक की पहचान की उसने एक अन्य आरोपी मोहम्मद ज़मान की भी खुली अदालत में पहचान की।
शुक्रवार को रुबैया सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुईं क्योंकि उनके छूट के आवेदन को अदालत ने पहले ही मंजूरी दे दी थी।15 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई के दौरान रुबैया ने मलिक समेत पांच आरोपियों की पहचान की थी।

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