भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सात मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में सेवामुक्त उपग्रह मेघा-ट्रॉपिक्स-1 (MT1) के नियंत्रित पुन:प्रवेश के चुनौतीपूर्ण प्रयोग के लिए तैयार है।
"हालांकि सैटेलाइट की मिशन आवधि मूल रूप से तीन साल थी, लेकिन इस ने साल 2021 तक क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु के बारे में सूचना के साथ मूल्यवान डेटा सेवाएं प्रदान करना जारी रखा," ISRO ने एक बयान में कहा।
गौरतलब है कि मेघा-ट्रॉपिक्स उपग्रह को अब संयुक्त राष्ट्र के इंटर एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (यूएन/आइएडीसी) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, पृथ्वी की निचली कक्षा से हटाना है। एजेंसी के तय मानकों के अनुसार, इसे ऐसी कक्षा में लाया जाना चाहिए, जहां उसका जीवनकाल 25 साल से कम हो। लगभग एक हजार किलोग्राम वजनी मेघा-ट्रापिक्स 867 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में है और उसमें अभी भी करीब 125 किलोग्राम ईंधन बचा हुआ है।
दरअसल लगभग 125 किलोग्राम ऑन-बोर्ड ईंधन अपने मिशन के अंत में अनुपयोगी रहा जो आकस्मिक ब्रेक-अप के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए इसे अत्यंत सावधानी से नीचे लाने की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखकर प्रशांत महासागर में एक निर्जन स्थान पर MT-1 को गिराने की योजना बनाई गई है। इसके लिए उपग्रह में बचे ईंधन का उपयोग करते हुए उसे नियत्रित तरीके से वायुमंडल में पुन: प्रवेश कराया जाएगा।