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ISRO सात मार्च को सैटेलाइट री-एंट्री के चुनौतीपूर्ण प्रयोग की तैयारी कर रहा है
ISRO सात मार्च को सैटेलाइट री-एंट्री के चुनौतीपूर्ण प्रयोग की तैयारी कर रहा है
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सात मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में सेवामुक्त उपग्रह मेघा-ट्रॉपिक्स-1 (MT1) के नियंत्रित पुन:प्रवेश के चुनौतीपूर्ण प्रयोग के लिए तैयार है।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सात मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में सेवामुक्त उपग्रह मेघा-ट्रॉपिक्स-1 (MT1) के नियंत्रित पुन:प्रवेश के चुनौतीपूर्ण प्रयोग के लिए तैयार है।गौरतलब है कि मेघा-ट्रॉपिक्स उपग्रह को अब संयुक्त राष्ट्र के इंटर एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (यूएन/आइएडीसी) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, पृथ्वी की निचली कक्षा से हटाना है। एजेंसी के तय मानकों के अनुसार, इसे ऐसी कक्षा में लाया जाना चाहिए, जहां उसका जीवनकाल 25 साल से कम हो। लगभग एक हजार किलोग्राम वजनी मेघा-ट्रापिक्स 867 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में है और उसमें अभी भी करीब 125 किलोग्राम ईंधन बचा हुआ है।दरअसल लगभग 125 किलोग्राम ऑन-बोर्ड ईंधन अपने मिशन के अंत में अनुपयोगी रहा जो आकस्मिक ब्रेक-अप के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए इसे अत्यंत सावधानी से नीचे लाने की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखकर प्रशांत महासागर में एक निर्जन स्थान पर MT-1 को गिराने की योजना बनाई गई है। इसके लिए उपग्रह में बचे ईंधन का उपयोग करते हुए उसे नियत्रित तरीके से वायुमंडल में पुन: प्रवेश कराया जाएगा।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, मौसम और जलवायु अध्ययन, वायुमंडल में प्रवेश, अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी
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ISRO सात मार्च को सैटेलाइट री-एंट्री के चुनौतीपूर्ण प्रयोग की तैयारी कर रहा है
18:03 06.03.2023 (अपडेटेड: 23:24 18.05.2023) सैटेलाइट मेघा-ट्रॉपिक्स-1 को उष्णकटिबंधीय मौसम और जलवायु अध्ययन के लिए ISRO और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी के संयुक्त उपग्रह उद्यम के रूप में 12 अक्टूबर, 2011 को लॉन्च किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सात मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में सेवामुक्त उपग्रह मेघा-ट्रॉपिक्स-1 (MT1) के नियंत्रित पुन:प्रवेश के चुनौतीपूर्ण प्रयोग के लिए तैयार है।
"हालांकि सैटेलाइट की मिशन आवधि मूल रूप से तीन साल थी, लेकिन इस ने साल 2021 तक क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु के बारे में सूचना के साथ मूल्यवान डेटा सेवाएं प्रदान करना जारी रखा," ISRO ने एक बयान में कहा।
गौरतलब है कि मेघा-ट्रॉपिक्स उपग्रह को अब संयुक्त राष्ट्र के इंटर एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (यूएन/आइएडीसी) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, पृथ्वी की निचली कक्षा से हटाना है। एजेंसी के तय मानकों के अनुसार, इसे ऐसी कक्षा में लाया जाना चाहिए, जहां उसका जीवनकाल 25 साल से कम हो। लगभग एक हजार किलोग्राम वजनी मेघा-ट्रापिक्स 867 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में है और उसमें अभी भी करीब 125 किलोग्राम ईंधन बचा हुआ है।
दरअसल लगभग 125 किलोग्राम ऑन-बोर्ड ईंधन अपने मिशन के अंत में अनुपयोगी रहा जो आकस्मिक ब्रेक-अप के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए इसे अत्यंत सावधानी से नीचे लाने की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखकर प्रशांत महासागर में एक निर्जन स्थान पर MT-1 को गिराने की योजना बनाई गई है। इसके लिए उपग्रह में बचे ईंधन का उपयोग करते हुए उसे नियत्रित तरीके से वायुमंडल में पुन: प्रवेश कराया जाएगा।