इससे पहले दूसरे विदेशी मीडिया ने बताया था कि ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने एक गुप्त टास्क फोर्स बनाई थी जिसका लक्ष्य यूक्रेन के लिए सोवियत गोला-बारूद खरीदना है।
"यूक्रेन को तोपखाने के गोले देने के लिए ब्रिटिश विशेष बल के सैनिकों की शीर्ष स्तर की टीम समय के खिलाफ गुप्त दौड़ में है। विशेष वायु सेवा के 12 सैनिकों का समूह, खुफिया और विदेश मंत्रालय के अधिकारी उन देशों में तलाश कर रहे हैं जिन में जानकारी के अनुसार सोवियत निर्मित होवित्जरों के लिए 122 मिमी गोलों का भंडार है," इस मीडिया के बयान में लिखा गया।
इस मीडिया के अनुसार, गोला-बारूद की कमी के कारण हाल के हफ्तों में विशेष बलों से उनकी तलाश करने को कहा गया है। यह बताया जाता है कि वे हथियारों के खरीदारों के रूप में दिखाई देते हैं और उनके पास " नकदी की काफी बड़ी संख्या" है। "काले" बाजार से हथियार प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश बिचौलियों के साथ बैठकों पर नियंत्रण करते हैं। इस मीडिया की सूचना के अनुसार उन्होंने अंगोला, मिस्र, जॉर्डन, कजाकिस्तान और वियतनाम जैसे देशों की यात्रा की है।
इस से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा था कि यूक्रेन के लिए हथियार वाला कोई भी सामान रूस के लिए वैध लक्ष्य बन जाएगा। रूसी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति करते हुए नाटो के देश "आग से खेलते हैं"।
रूसी राष्ट्रपति के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने जोर देकर कहा कि पश्चिम द्वारा यूक्रेन में हथियारों की बड़ी आपूर्ति रूसी-यूक्रेनी वार्ता की सफलता में मदद नहीं देती और इसका प्रभाव नकारात्मक होगा। लवरोव ने यह भी कहा कि अमेरिका और नाटो "हथियारों की आपूर्ति के माध्यम से ही नहीं, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और अन्य देशों के क्षेत्र में सैनिकों का प्रशिक्षण करने के माध्यम से भी” सीधे तौर पर यूक्रेनी संकट में भाग ले रहे हैं।