भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के शोध के अनुसार, अमेरिका में छोटे बैंक जमा केवल अधिकतम 40% तक ही बीमाकृत होते हैं जबकि भारत में छोटे बैंक जमा, जैसे कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा 82.9%, सहकारी बैंकों द्वारा 66.5% और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों द्वारा 76.4% धारित संरक्षित हैं।
दरअसल एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग के "इकोरैप" नामक एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका के शीर्ष 10 बैंक जमा 38.4 से 66 प्रतिशत की सीमा में बीमाकृत हैं। कई भौगोलिक क्षेत्रों में बीमित ग्राहक जमाओं का यह विश्लेषण अमेरिका में बैंकों के डूबने के मद्देनजर किया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में शीर्ष बैंकों की जमाराशियों का औसतन 50% से 55% के बीच बीमा किया गया है। अध्ययन के अनुसार, भारतीय बैंक लचीलापन का उदाहरण देते हैं। विदेशी लेनदारों ने भारत को तत्काल प्रतिपक्ष के रूप में 104.2 बिलियन डॉलर और गारंटी के रूप में 81.5 बिलियन डॉलर का भुगतान किया है।
"घरेलू दावों के लिए विदेशी दावों का हमारा अनुपात भी देशों के बीच सबसे कम है जो यह दर्शाता है कि हमारी बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली बहुत अनुशासित है और भारत से कोई अंतरराष्ट्रीय बैलेंस शीट संक्रमण शुरू नहीं हो सकता है। परिपक्वता के लिहाज से भी, भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दावे सबसे कम हैं," भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा।
शोध में यह भी कहा गया है कि 90 दिनों की अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म अवधि के लिए 11 अलग-अलग अमेरिकी बैंकों से 30 बिलियन अमरीकी डॉलर का फर्स्ट रिपब्लिक बैंक द्वारा गैर-बीमाकृत डिपॉजिट की तरह शॉर्ट-टर्म उधार लेना अदूरदर्शी है।
बता दें कि साल 2008 में वाशिंगटन म्युचुअल के पतन के बाद सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक की विफलता अमेरिकी बैंकिंग इतिहास की तीन सबसे बड़ी विफलताओं में से दो रही हैं।