कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता आज लोक सभा सचिवालय ने रद्द कर दी, यह सब हुआ सूरत की अदालत के उस फैसले के बाद जब साल 2019 में नरेंद्र मोदी के उपनाम के बारे में टिप्पणी करने के आपराधिक मानहानि के मुकदमे में राहुल गांधी को कल दोषी पाया गया और अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई।
राहुल की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है।
"हमें विश्वास है कि हम दोषसिद्धि पर स्थगन प्राप्त करेंगे जो इस अयोग्यता के आधार को ही समाप्त कर देगा। हमें कानून पर पूरा भरोसा है। हमें विश्वास है कि हम निकट भविष्य में विजयी होंगे," अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा।
आइए जानते ही क्या है पूरा मामला जिसकी वजह से आज राहुल गांधी को अपनी सदस्यता खोनी पड़ी।
जाने क्या था राहुल का केस?, क्या हैं उनके पास विकल्प?, क्या है कोई और मानहानि का मामला ?
क्या था केस?
राहुल गांधी को "मोदी" उपनाम पर 2019 में की गई एक टिप्पणी के लिए दोषी ठहराया गया था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में एक रैली के दौरान राहुल ने कहा कि सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे हो सकता है।
"नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी ... इन सभी का मोदी एक सामान्य उपनाम कैसे है? सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?," राहुल ने कहा था
इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी के गुजरात के विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499, 500 और 504 के तहत राहुल के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। धारा 500 मानहानि के तहत साधारण कारावास जिसकी अवधि दो साल तक बढ़ सकती है, या जुर्माना, या दोनों एक साथ" निर्धारित करती है।
क्या कोई और मानहानि के केस है राहुल पर?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राहुल के खिलाफ दो और मानहानि के मामले दर्ज हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने साल 2018 में बीजेपी नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाए। राहुल गांधी ने हैशटैग #ShahZyadaKhaGaya के साथ एक ट्वीट में इसे साझा किया। इस पर अदालत में रणदीप और राहुल दोनों ने दोषी नहीं होने की दलील दी है।
मई 2019 में एक रैली के दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह को "हत्या का आरोपी" कहने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ, बीजेपी पार्षद कृष्णकांत ब्रह्मभट्ट ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया।
क्या हैं उनके पास विकल्प?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 30 दिनों के भीतर दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करनी चाहिए यदि उच्च न्यायालय फैसले को पलट देता है तो गांधी को एक सांसद के रूप में बहाल किया जा सकता है। यदि नहीं, तो वह अयोग्य बने रहेंगे।
गांधी संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। अनुच्छेद के तहत, सर्वोच्च न्यायालय के पास भारत के सभी न्यायालयों और न्यायाधिकरणों पर अपीलीय क्षेत्राधिकार है। सुप्रीम कोर्ट सजा बदल सकता है।
समाचार रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी की टीम पहले ही कह चुकी है कि वह सूरत की अदालत के फैसले को चुनौती देने की योजना बनाई जा रही है।