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एस-400 ने दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने की भारतीय क्षमता को 30 गुना बढ़ाया: वायुसेना के दिग्गज

एस-400 मिसाइल प्रणाली को दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणाली के रूप में समझा जाता है। वह भारत जैसे रूस के निकटतम रणनीतिक साझेदारों के अलावा अन्य देशों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है।
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भारतीय वायु सेना (IAF) के दो दिग्गजों ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली का वर्णन भारत के लिए "गेम-चेंजर" के रूप में करके वह बताया कि दुनिया भर में प्रसिद्ध प्रणाली दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने में भारतीय सुरक्षा बलों की क्षमता को 30 गुना कैसे बढ़ाती है।
एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) कपिल काक के अनुसार, एस-400 प्रणाली मानव रहित विमानों (UAVs), हेलीकॉप्टरों, परिवहन विमानों, लड़ाकू विमान मिसाइलों, मिसाइलों और यहां तक कि कुछ प्रकार की क्रूज मिसाइलों को तबाह कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की वायु रक्षा मिसाइल रोधी प्रणाली पहले कहीं नहीं मिलती थी।
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रूसी प्रणाली को एस-400 कहा जाता है क्योंकि वह 400 किलोमीटर की दूरी पर 100 जीवित लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है। वह एक बार में 60 लक्ष्यों को तबाह कर सकती है।
वह प्रणाली चार अलग-अलग प्रकारों की मिसाइलों की मदद से गोलीबारी कर सकती है, जिन में 40 किलोमीटर दूरी वाली 9M96E मिसाइलें, 120 किलोमीटर दूरी वाली 9M96E2, 250 किलोमीटर की दूरी वाली 48N6 और 400 किलोमीटर की दूरी वाली 40N6E मिसाइलें शामिल हैं।
"लेकिन यह बहुत बड़ी क्षमता है क्योंकि जो प्रणालियाँ इस से पहले हमारे पास थीं, वे एक से अधिक लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम नहीं थीं या एक बार में अधिकतम दो लक्ष्यों को तबाह कर सकती थीं। अब क्षमता में 30 गुनी वृद्धि हुई है। यह उसको गेम चेंजर बनाता है," पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के युद्धों के दिग्गज काक ने मंगलवार को Sputnik को बताया।

युद्ध जैसी स्थिति

भारतीय वायु सेना के अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी और विंग कमांडर वेंकटेश बालासुब्रमण्यन ने काक के विश्लेषण से सहमती जताई।
बालासुब्रमण्यन के अनुसार, एस-400 प्रणाली दुश्मन के क्षेत्र में बड़ी दूरी पर लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है, जिसके कारण वह विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी वायु रक्षा प्रणाली है।
उन्होंने कहा कि भारत में एस-400 के प्रत्येक स्क्वाड्रन में आठ लॉन्चर, 112 मिसाइल और सहायक उपकरण शामिल हैं, और भारत के पास कुल 40 लॉन्चर, 560 मिसाइल और संबंधित सहायक उपकरण हैं।
भारत भर में विभिन्न स्थानों पर एस-400 के दो स्क्वाड्रनों की तैनाती देश को संभावित हवाई खतरों के खिलाफ वायु रक्षा "ढाल" प्रदान करती है।
हाल ही में आया तीसरा स्क्वाड्रन तैनात किए जाने के लिए तैयार भी है और ज्यादा व्यापक क्षेत्र की रक्षा की जा सकती है जो विभिन्न समानांतर हमलों के खिलाफ अधिक व्यापक रक्षा प्रदान करेगी।

"एस-400 वायु रक्षा प्रणाली अत्यधिक मोबाइल है और नए स्थानों पर जल्दी से तैनात की जा सकती है, जिसके कारण वह युद्ध जैसी स्थिति में भारत की मूल्यवान संपत्ति बन जाती है, जिस में फुर्ती और लचीलापन बहुत महत्वपूर्ण हैं। रेपोर्टों के अनुसार, एस-400 प्रणाली की तैनाती का समय लगभग पाँच मिनट है, जिसका मतलब है कि वह किसी भी संभावित खतरे का तुरंत जवाब दे सकती है," बालासुब्रमण्यन ने Sputnik के साथ बातचीत के दौरान कहा।

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"हम बिना संदेह के कह सकते हैं कि एस-400 वायु रक्षा प्रणाली पाकिस्तान या चीन के साथ युद्ध जैसी स्थिति में भारत के लिए गेम-चेंजर है। उसकी उन्नत प्रौद्योगिकी, मोबिलिटी और चपलता उसको भारतीय राष्ट्रीय रक्षा रणनीति के लिए मूल्यवान संपत्ति बनाती है। और विभिन्न स्थानों पर उसकी तैनाती विभिन्न समानांतर हमलों के खिलाफ व्यापक रक्षा प्रदान करती है," उन्होंने बताया।
भारत ने 2018 में 5.43 अरब डॉलर के सौदे के अनुसार रूस द्वारा निर्मित एस-400 प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदी थीं। मिसाइल प्रणाली के पांच में से तीन स्क्वाड्रन भारत पहुँच चुके हैं, जिन में से दो स्क्वाड्रन तैनात हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, दिल्ली आने वाले समय एस-400 मिसाइल प्रणाली का परीक्षण करने की योजना बना रही है।
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