सूत्रों के हवाले से भारतीय मीडिया ने यह बताया है कि चीन के रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ बैठक के लिए गुरुवार को दिल्ली आने वाले हैं। भारतीय मीडिया ने भारत के रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों नेता दिल्ली के आईटीसी मौर्या होटल में शाम 6 बजे दोनों देशों से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
उन्होंने बताया कि यह संगठन भारत और इसमें शामिल देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण है और कैसे इसमें शामिल देश एक दूसरे के सहयोग से विकास की राह पर आगे बढ़ सकते हैं। SCO देशों में कुछ मसले हैं लेकिन उन्हें बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है। विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि विकास एक मुख्य मुद्दा है और अगर बढ़े देश विकास का काम कर रहे हैं तो उन्हें बिना किसी स्वार्थ के यह करना चाहिए। इसके अलवा आतंकवाद एक बहुत बड़ा मसला है, जिसके खिलाफ पूरे क्षेत्र के अंदर एक लड़ाई लड़कर उसे समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए और इन सबके साथ डेवलपमेंट के अजेंडे को आगे बढ़ाना होगा।
"भारत देश हमेशा से जोर देता रहा है कि बातचीत ही मसलों का हल है। भारत का तो यहां तक कहना है कि युद्ध का काल समाप्त हो चुका है और अब जो भी मुल्क युद्ध में जाएगा उसका नुकसान ही होगा। लेकिन यह है कि बहुत से देशों पर युद्ध थोपा जा रहा है हमने देखा की रूस के साथ यह हुआ है। SCO के सभी देशों को आपस में सहयोग करना चाहिए। प्रतिबंधों के खिलाफ काम करना बहुत जरूरी है जैसे एकतरफा प्रतिबंध ईरान, रूस सहित अन्य देशों के खिलाफ लगा दिए गए है, इसका बहिष्कार किया जाना चाहिए। लोकल करेंसी में भी ट्रेड लगातार बढ़ रहा है और यह भी विकास के लिए बहुत जरूरी है। विकास से बड़े देशों पर निर्भरता कम होती है और SCO के सभी देशों को टेक्नॉलजी ट्रांसफर करना चाहिए, और अगर आप विकास का एजेंडा कर रहे हैं वह उस देश के हिसाब से होना चाहिए," रक्षा विशेषज्ञ कमर आग़ा ने Sputnik से कहा।
"चुनौतियां तभी दूर होंगी तब इन सभी देशों के बीच रेल रोड और गैस पाइप्लाइन की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। भारत हमेशा से जोर देता रहा है कि सब मिलकर ही विकास कर सकते हैं। हालांकि हमारी कानेक्टिविटी ईरान से पाकिस्तान ने रोक रखी है। अगर रेल रोड के माध्यम से एक दूसरे से कनेक्ट हो जाते हैं तो ट्रांसपोर्टेशन चार्ज कम होने से सामान जल्दी पहुंचेगा। गैस पाइपलाइन का नेटवर्क बढ़ने से सस्ती ऊर्जा प्राप्त हो सकेगी। युद्ध किसी मसले का हल नहीं है, जंग से मसले हल नहीं होने वाले हैं और बड़ी ताकतों की कोशिश होती है।"
"वह [बड़ी ताकत] ऐसी स्थिति बनाती है कि उनके पास और कोई विकल्प न बचे जैसा कि मैंने यूक्रेन में देखा कि किस तरीके से रूस को घेरा गया। उसको फोर्स किया गया कि वह इंटरवेंशन करें और उसके बाद फिर जंग को खत्म नहीं होने देते। दूसरी बात यह भी है कि अमेरिका की शक्ति काफी कम हो चुकी है। ऐसा होता है तो बड़ी ताकतें हमेशा जंग का सहारा लेती हैं। वह सीधे तौर पर नहीं लड़ सकते तो वह प्रॉक्सी वार का सहारा लेते हैं जैसा हम यूक्रेन में देख रहे हैं," कमर आग़ा ने Sputnik को बताया।
"पाकिस्तान की नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है और पाकिस्तान की सेना नहीं चाहती की भारत के साथ अच्छे संबंध बनें, लेकिन पाकिस्तान के आर्थिक हालात अच्छे नहीं हैं और कब तक वह कर्ज लेकर चल सकेगा। विकास उनका एजेंडा नहीं है, यह समस्या भारत के लिए नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए है और SCO में इस मसले पर बात करनी चाहिए। पाकिस्तान जिस तरीके से भारत, अफ़ग़ानिस्तान और सेंट्रल एशिया के दूसरे देशों में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है उसको रोकने के लिए SCO को चर्चा करनी चाहिए। उस पर दबाव पड़ना चाहिए और ठोस निर्णय लिए जाए तभी मुल्क में तरक्की होगी," कमर ने कहा।
"भारत को काफी अनुभव है इस तरह की मीटिंग ऑर्गेनाइज करने का और इस तरह की मीटिंग में पार्टिसिपेट करने का, वहीं दूसरी तरफ भारत की एक नीति है कि सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना और दूसरी नीति है कि इन देशों में विकास को निस्वार्थ तरीके से प्रमोट करे। जिससे वहां की जनता की तरक्की हो और देशों के बीच आपस में व्यापार बढ़े और शांति बनी रहे। इसको देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण संगठन हो जाता है। इसमें एक खास बात भी है कि देशों के बीच आपस में द्विपक्षीय वार्ता भी साइड्लाइन में हो जाती है," रक्षा विशेषज्ञ ने कहा।
"हम सब जानते हैं जिस तरीके से भारतीय जवान गलवान में शहीद हुए थे जब चीन ने एक हिस्से पर कब्जा करने को कोशिश की थी हालांकि अभी भी हमारा कुछ हिस्सा चीन के कब्जे में है, जिस पर बातचीत चल रही है और बातचीत के माध्यम से भारत चाहता है कि मसलों को हल किया जाए। दूसरी तरफ भारत की नीति यह भी है कि हमारी सेना पूरी तरीके से सक्षम है, अगर बातचीत से मसला न हल हो तो उनको पीछे भी धकेल सकती है। भारत की पहली कोशिश बातचीत की होती है। अब चीन के रक्षा मंत्री आएंगे तो आपस में बातचीत से कुछ मसलों के सुलझने की आशा नजर आती है," रक्षा विशेषज्ञ कमर आग़ा ने Sputnik को दिए साक्षात्कार में कहा।