व्यापार और अर्थव्यवस्था

एशिया में रूसी कच्चे तेल का प्रवाह बढ़ने से वैश्विक तेल का बन रहा है नया मानचित्र

रूसी कच्चे तेल पर पश्चिमी देशों ने प्राइस कैप लगाकर मास्को की तेल से होने वाली आमदनी को सीमित करने का स्वप्न देखा था लेकिन यह दिवास्वप्न तब टूट गया जब रूस ने एशियाई देशों में खासकर चीन और भारत में अपना निर्यात बढ़ा दिया।
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पश्चिमी प्रतिबंधों से निपटने के लिए वैश्विक तेल मानचित्र में फिर से बदलाव हो रहे हैं। इस कड़ी में रूस एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में कच्चे तेल की आपूर्ति तेजी से बढ़ाई है। अब चीन ईरान और वेनेजुएला से भी कच्चा तेल ले रहा है।
खुफिया फर्म केप्लर द्वारा ट्रैक किए गए आंकड़ों के अनुसार, चीन और भारत ने अप्रैल महीने में रूस, ईरान और वेनेजुएला से अपने संयुक्त आयात का 30% से अधिक की खरदीदारी की है।
वस्तुतः पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं का तेल निर्यात घट रहा है। पश्चिम अफ्रीका और अमेरिका से एशियाई देशों में तेल का निर्यात क्रमशः 40% और 35% से अधिक गिर गया है।
इस बीच सिनोकेम ऊर्जा कंपनी के एक पूर्व अर्थशास्त्री वांग नेंगक्वान ने कहा, "हाल के महीनों में भारत के साथ एशिया के दूसरे देश भी रूस के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बन गए हैं, जिन्होंने मास्को को अपने तेल निर्यात को सामान्य करने में अचानक सहायता की है।"
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विचारणीय है कि तेल प्रवाह का पुनर्निर्धारण दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण कमोडिटी बाजार में चल रही आपूर्ति की गवाही देता है, जहां भारत और चीन के नेतृत्व में वैश्विक मांग लगभग 100 मिलियन बैरल प्रति दिन है।

"एशिया के भीतर रूस का लगभग 90% निर्यात अब भारत और चीन में जाता है। इस तरह रूस तेल के प्रवाह को पुनर्निर्देशित करने में सफल रहा है," ऑक्सफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी स्टडीज के लिए एक शोध रिपोर्ट में लिखा गया है।

बता दें कि भारत में रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति में सबसे बड़ी उछाल आई है, जबकि चीन ने भी रूसी तेल की अधिक मात्रा खरीदने के साथ साथ ईरान और वेनेजुएला के तेल की निरंतर खरीद की है। अमेरिका ने दोनों देशों से कच्चे तेल पर लंबे समय तक प्रतिबंध लगा रखा है।
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