https://hindi.sputniknews.in/20230517/russian-tel-ko-lekar-bharat-ke-khilaaf-karwaee-ke-europiy-sangh-ke-aahvaan-par-jayshankar-ne-kiya-paltvaar-2001471.html
रूसी तेल खरीद को लेकर जयशंकर ने यूरोपीय संघ को दिया करारा जवाब
रूसी तेल खरीद को लेकर जयशंकर ने यूरोपीय संघ को दिया करारा जवाब
Sputnik भारत
रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत भारतीय उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान करने वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार (स्थानीय समय) को उन्हें यूरोपीय संघ परिषद के नियमों को देखने की सलाह दी।
2023-05-17T11:56+0530
2023-05-17T11:56+0530
2023-05-18T23:12+0530
भारत
भारत का विदेश मंत्रालय (mea)
एस. जयशंकर
यूरोपीय संघ
ऊर्जा क्षेत्र
रूसी तेल पर मूल्य सीमा
तेल
तेल का आयात
रूस
व्यापार और अर्थव्यवस्था
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/05/08/1860202_0:0:3078:1731_1920x0_80_0_0_b8ae693ee0384bbab5be8bfbbfef6ae0.jpg
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल की रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत भारतीय उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान करने वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार (स्थानीय समय) को उन्हें यूरोपीय संघ परिषद के नियमों को देखने की सलाह दी।दरअसल ब्लॉक के मुख्य राजनयिक ने पहले कहा था कि यूरोपीय संघ को यूरोप में डीजल सहित रिफाइंड ईंधन के रूप में रूसी तेल को फिर से बेचने पर रोक लगानी चाहिए क्योंकि पश्चिमी देश मास्को के ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंधों को कड़ा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।"भारत रूसी तेल खरीदता है, यह सामान्य है ..." यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख बोरेल ने एक विदेशी मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा था कि रूसी कच्चे तेल से निर्मित भारत से आने वाले परिष्कृत उत्पादों पर कार्रवाई करना चाहते हैं।लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस पर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मुद्दे को खारिज कर दिया।बता दें कि ब्रसेल्स में व्यापार प्रौद्योगिकी वार्ता में बोरेल ने जयशंकर से मुलाकात की थी, लेकिन वह उसके बाद होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित नहीं थे। उनके स्थान पर यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर मौजूद थे। दरअसल जयशंकर बांग्लादेश, स्वीडन और बेल्जियम की अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार को ब्रसेल्स पहुंचे।अपने हितों की पूर्ति के लिए भारत का स्पष्ट दृष्टिकोणयह पहला मौका नहीं है जब जयशंकर पश्चिम की धमकाने वाली रणनीति के खिलाफ डटकर खड़े हुए हैं। इससे पहले भी जयशंकर ने रूस से भारत के तेल आयात का खुले तौर पर समर्थन किया था और यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के मद्देनजर रूस के साथ अपने व्यापार को कम करने के लिए नई दिल्ली पर दबाव डालने के लिए पश्चिम की आलोचना भी की थी। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया था कि कैसे यूरोप अपनी स्वयं की ऊर्जा आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के लिए विकल्प चुन सकता है और साथ ही भारत को कुछ और करने के लिए ज्ञानवाणी दे सकता है।वहीं पिछले साल दिसंबर में, अपने जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबॉक के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जयशंकर ने एक बार फिर तथ्यों को सामने रखा और पश्चिम को उसके पाखंड के लिए बेनकाब कर दिया था।गौरतलब है कि 24 फरवरी, 2022 को मास्को के विशेष अभियान शुरू करने के बाद से ही भारत पिछले एक साल में रूसी तेल के शीर्ष खरीदार के रूप में उभरा है। सस्ते रूसी कच्चे तेल तक पहुंच ने भारतीय रिफाइनरियों में उत्पादन और मुनाफे को बढ़ाया है, जिससे वे परिष्कृत उत्पादों को यूरोप में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से निर्यात करने और एक बड़ा बाजार का हिस्सा लेने में सक्षम हुए हैं।
https://hindi.sputniknews.in/20230316/bharat-urjaa-suraksha-aavshyktaaon-ke-aadhaari-par-rusi-tel-kharidega-videsh-mantraly-1200512.html
https://hindi.sputniknews.in/20230103/bharat-ne-rus-se-apne-rakha-aur-urga-sambandhon-kee-pashchim-kee-aalochna-ka-javaab-diya-363716.html
भारत
रूस
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2023
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/05/08/1860202_0:0:2732:2048_1920x0_80_0_0_d0e6576dd61d28e20820b8a827a2d122.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
रूसी कच्चे तेल का आयात, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, ब्रसेल्स में व्यापार प्रौद्योगिकी वार्ता, रूसी तेल आयात का समर्थन, अपने हितों की पूर्ति के लिए भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण
रूसी कच्चे तेल का आयात, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, ब्रसेल्स में व्यापार प्रौद्योगिकी वार्ता, रूसी तेल आयात का समर्थन, अपने हितों की पूर्ति के लिए भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण
रूसी तेल खरीद को लेकर जयशंकर ने यूरोपीय संघ को दिया करारा जवाब
11:56 17.05.2023 (अपडेटेड: 23:12 18.05.2023) अंतरराष्ट्रीय बाजारों में रूसी कच्चे तेल का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार रूस का तेल निर्यात विशेष अभियान के बाद अप्रैल में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद राजस्व में 1.7 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है।
यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल की रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत भारतीय उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान करने वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार (स्थानीय समय) को उन्हें यूरोपीय संघ परिषद के नियमों को देखने की सलाह दी।
"यूरोपीय संघ परिषद के नियमों को देखें, रूसी कच्चे तेल को तीसरे देश में काफी हद तक बदल दिया गया है और अब इसे रूसी तेल के रूप में नहीं माना जाता है। मैं आपसे परिषद के नियमन 833/2014 को देखने का आग्रह करूंगा," जयशंकर ने कहा।
दरअसल ब्लॉक के मुख्य राजनयिक ने पहले कहा था कि यूरोपीय संघ को यूरोप में डीजल सहित रिफाइंड ईंधन के रूप में रूसी तेल को फिर से बेचने पर रोक लगानी चाहिए क्योंकि पश्चिमी देश मास्को के
ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंधों को कड़ा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।
"
भारत रूसी तेल खरीदता है, यह सामान्य है ..." यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख बोरेल ने एक विदेशी मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा था कि रूसी कच्चे तेल से निर्मित भारत से आने वाले परिष्कृत उत्पादों पर कार्रवाई करना चाहते हैं।
लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस पर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मुद्दे को खारिज कर दिया।
"मैं वास्तव में आपके प्रश्न का आधार नहीं देखता। क्योंकि परिषद के नियमों के बारे में मेरी समझ यह है कि यदि रूसी कच्चे तेल को किसी तीसरे देश में काफी हद तक रूपांतरित कर दिया जाता है, तो इसे अब रूसी नहीं माना जाता है," जयशंकर ने कहा।
बता दें कि ब्रसेल्स में व्यापार प्रौद्योगिकी वार्ता में बोरेल ने जयशंकर से मुलाकात की थी, लेकिन वह उसके बाद होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित नहीं थे। उनके स्थान पर यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर मौजूद थे। दरअसल जयशंकर बांग्लादेश, स्वीडन और बेल्जियम की अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार को ब्रसेल्स पहुंचे।
अपने हितों की पूर्ति के लिए भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण
यह पहला मौका नहीं है जब जयशंकर पश्चिम की धमकाने वाली रणनीति के खिलाफ डटकर खड़े हुए हैं। इससे पहले भी जयशंकर ने
रूस से भारत के तेल आयात का खुले तौर पर समर्थन किया था और यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के मद्देनजर रूस के साथ अपने व्यापार को कम करने के लिए नई दिल्ली पर दबाव डालने के लिए पश्चिम की आलोचना भी की थी। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया था कि कैसे यूरोप अपनी स्वयं की ऊर्जा आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के लिए विकल्प चुन सकता है और साथ ही भारत को कुछ और करने के लिए ज्ञानवाणी दे सकता है।
वहीं पिछले साल दिसंबर में, अपने जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबॉक के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जयशंकर ने एक बार फिर तथ्यों को सामने रखा और पश्चिम को उसके पाखंड के लिए बेनकाब कर दिया था।
गौरतलब है कि 24 फरवरी, 2022 को मास्को के विशेष अभियान शुरू करने के बाद से ही भारत पिछले एक साल में
रूसी तेल के शीर्ष खरीदार के रूप में उभरा है। सस्ते रूसी कच्चे तेल तक पहुंच ने भारतीय रिफाइनरियों में उत्पादन और मुनाफे को बढ़ाया है, जिससे वे परिष्कृत उत्पादों को यूरोप में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से निर्यात करने और एक बड़ा बाजार का हिस्सा लेने में सक्षम हुए हैं।