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जानें क्या है खास लोकतंत्र के नए मंदिर में?

पुरानी संसद भवन जिसकी शानदार विरासत अब इतिहास के पन्नों में दर्ज की जाएगी, इसका उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था।
Sputnik
28 मई, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नए शानदार संसद भवन का उद्घाटन करेंगे तो भारत के पास सत्ता का एक नया केंद्र होगा। इस महत्वपूर्ण अवसर की पूर्व संध्या पर आज Sputnik आपको बताएगा कि भारतीय लोकतंत्र के इस नए प्रतीक की प्रमुख विशेषता क्या हैं।
अगर बात की जाए मूल संसद भवन की तो उसका निर्माण 1927 में पूरा हुआ था। लगभग 100 साल के करीब पुरानी की संरचना जिसको एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था, मूल संसद को आज के समय के हिसाब से वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए अपर्याप्त माना जा रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने संसद के लिए एक नई इमारत बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया और तय प्रक्रिया के बाद पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की नींव रखी। जहां पुराने भवन में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 250 सदस्य बैठ सकते थे अब नए संसद भवन में लोकसभा में 888 सदस्य और राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे।

आइए नजर डालते हैं नए संसद भवन की कुछ मुख्य बातों पर

इसकी संरचना 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बनाई गई है। सेंट्रल विस्टा इमारतों की तर्ज पर बनी नई संसद की त्रिकोणीय संरचना है। इसमें लोकसभा, राज्यसभा, केंद्रीय लाउंज और संवैधानिक अधिकारियों के कार्यालय हैं। नया लोकसभा कक्ष भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की समानता में बनाया गया है वहीं दूसरी ओर नया राज्यसभा चैंबर, राष्ट्रीय फूल, कमल के समान है। सरकार के आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक समग्र रूप से नवनिर्मित भवन भारत के महत्वपूर्ण विरासत भवनों, जैसे कि राष्ट्रपति भवन आदि से विभिन्न वास्तुशिल्प प्रभावों को दर्शाता है।
नए भवन में छह समिति कक्ष होंगे। वर्तमान संरचना में ऐसे तीन कमरे हैं। मंत्रिपरिषद के उपयोग के लिए 92 कमरे होंगे। सरकार के आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है कि नए भवन में, दो सदस्य लोकसभा और राज्यसभा चैंबर्स में प्रत्येक बेंच पर अगल-बगल बैठ सकेंगे जहां प्रत्येक सीट डिजिटल सिस्टम और टच स्क्रीन से लैस होगी।
एक केंद्रीय प्रांगण दोनों सदनों के सदस्यों के लिए खुली बैठक की जगह बनाएगा। नए भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से एक कॉन्स्टिट्यूशन हॉल होगा। अन्य आगामी संरचना में एक पुस्तकालय, एक भोजन कक्ष और सदस्यों के लिए पर्याप्त पार्किंग शामिल है।
पुरानी बिल्डिंग का इस्तेमाल होता रहेगा। बुनियादी वास्तुशिल्प रणनीति दो भवनों को एक दूसरे के पूरक बनाना है। सरकार की घोषित योजना के अनुसार पुराने भवन की ऐतिहासिक विरासत को बरकरार रखने का पूरा ध्यान रखा जाएगा। नए भवन की डिजाइनिंग अहमदाबाद स्थित HCP डिजाइन एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई थी। टाटा प्रोजेक्ट्स ने नए संसद भवन के निर्माण का ठेका हासिल किया, जो केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजनाओं का एक हिस्सा था।
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