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पीएम मोदी की यात्रा के दौरान ड्रोन सौदे के लिए अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा: मीडिया

भारत और अमेरिका के बीच कोई औपचारिक सुरक्षा गठबंधन नहीं है इसके बावजूद वाशिंगटन नई दिल्ली के साथ सैन्‍य तकनीक सहयोग बढ़ाना चाहता है। इसके अलावा भारत अपने सदाबहार मित्र रूस के साथ रक्षा संबंध मजबूत बनाए हुए है जिससे अमेरिका परेशान है।
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन की राजकीय यात्रा से पहले, बाइडन प्रशासन नई दिल्ली को दर्जनों अमेरिकी-निर्मित सशस्त्र ड्रोनों के लिए एक सौदे को आगे बढ़ाने के लिए जोर दे रहा है, इस विषय से परिचित अधिकारी के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा।
दरअसल संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से बड़े सशस्त्र ड्रोन भारत को बेचना चाहता है लेकिन यह डील लटकी हुई है। अमेरिकी वार्ताकार अब आशा कर रहे हैं कि पीएम मोदी की 22 जून को होने वाली अमेरिका यात्रा में यह गतिरोध टूट सकता है।

"प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीख तय है और अमेरिकी विदेश विभाग साथ-साथ पेंटागन और व्हाइट हाउस चाहता है कि भारत MQ-9B सी गार्डियन ड्रोन खरीदने के लिए सौदा फाइनल करे," स्रोत के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया।

रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जो बाइडेन के बीच सैनिकों के लिए वाहन के अलावा कुछ और अन्य हथियारों के भारत में उत्पादन को लेकर भी बात हो सकती है। हालांकि व्हाइट हाउस, विदेश विभाग और पेंटागन के प्रवक्ताओं ने वार्ता पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
गौरतलब है कि भारत के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक यह तय नहीं किया था कि वह कितने ड्रोन खरीदना चाहता है। पहले यह संख्या 30 आंकी गई थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 24 कर दिया गया और फिर पिछले महीने इसे घटाकर 18 कर दिया गया।
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अमेरिका निर्मित MQ-9 रीपर ड्रोन को भारत बारीकी से परख रहा
गौरतलब है कि भारत ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद नवंबर 2020 में टोही और निगरानी के लिए दो MQ-9A ड्रोन लीज पर लिए थे जिसको नई दिल्ली सैन्य मापदंडों पर बारीकी से परख रहा है।
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