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जानें कैसे तकनीक भविष्य के युद्ध का प्रारूप बदलेगी: विशेषज्ञ

तकनीक और प्रौद्योगिकी भारतीय सेना के लिए परिवर्तन का एक हिस्सा हैं, भारत धीरे धीरे तकनीक में आगे बढ़ रहा है और जल्द से जल्द प्रौद्योगिकियों की चुनौती से निपट कर भविष्य के युद्ध को लड़ने के लिए तैयार होगा।
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पिछले एक दशक की बात करें तो इंसान हवाई जहाज से लेकर रोबाटिक्स तक आ चुका है, और आज के समय में तकनीक में तेजी से आ रहे परिवर्तन के कारण सैन्य क्षमता और रणनीति का परिदृश्य बदल रहा है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वचालित हथियार, साइबर हथियार और युद्ध के पारंपरिक तरीकों के संयोजन में तकनीक समकालीन युद्ध क्षेत्रों में सफलता या विफलता को तय कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सेना के लिए बनने वाले साजो सामान और हथियारों में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रहा है।
आधुनिक समय में युद्ध का परिवेश पूर्णतः बदल चुका है अब पहले की तरह चीजें कठिन नहीं रही हैं। अब आप दुश्मन को हजारों किलोमीटर की दूरी पर खत्म कर सकते हैं क्योंकि युद्ध का परिदृश्य नेटवर्क पर आधारित है, जहां सेंसर और निशानेबाज युद्ध लड़ने वाले प्लेटफॉर्म कमांड और कंट्रोल से जटिल रूप से जुड़े हुए हैं। आज भारतीय सेना में मेजर जनरल पद से सेवानिवृत्त प्रमोद कुमार सहगल ने Sputnik को बताया कि किस तरह आज के युद्ध प्रौद्योगिकी से प्रभावित हैं, इसके साथ साथ उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सेना में क्या भूमिका है और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं। स्वायत्त और साइबर हथियारों के बारे में बात करते हुए मेजर जनरल सहगल कहते हैं कि युद्ध का परिवेश अब पूरी तरह बदल चुका है। आप जिस भी तरफ देखेंगे वहाँ तकनीक से प्रेरित हथियार आप देख सकेंगे।
साइबर युद्ध के बारे में वह कहते हैं कि दुश्मन आपके घर में बिना आए आपकी सभी तरह की संचार प्रणाली को ध्वस्त कर सकता है और आपको युद्ध में आसानी से बैकफुट पर भेज सकता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
AI शत्रु और मित्र में भेद करने में सक्षम हो पाया तो बनेगा घातक हथियार: विशेषज्ञ
रक्षा विशेषज्ञ प्रमोद कुमार सहगल ने भारत की सैन्य तैयारियों में इन उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रभाव के बारे में बात करते हुए बताया कि प्रौद्योगिकी की सहायता से आप सीमा पार कर रहे घुसपैठियों को पहचान कर खत्म कर सकते हैं। पाकिस्तान और चीन से बढ़ते खतरे का सामना करते हुए, भारतीय सेना उभरती प्रौद्योगिकियों में आगे बढ़ रही है।आर्टिफिशल इन्टेलिजन्स (AI) के बारे में उन्होंने बताया कि इसने हाल के वर्षों में हथियारों की तथाकथित कायाकल्प कर दी है।

"पिछले कुछ सालों से साफ तौर पर नज़र आ रहा है कि आर्टिफिशल इन्टेलिजन्स और ड्रोन आज की लड़ाई में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आए हैं, इनका प्रयोग बहुत बड़े स्तर पर किया जा रहा है। दुश्मन के खतरे का पता लगाने और उसको बर्बाद करने में ये आपकी सहायता करते हैं। जहां तक AI की बात है, हिंदुस्तान की फौज इसे पांच तरहों से प्रयोग कर रही है। देखिए, कश्मीर में प्रतिदिन सेना की वर्दी पहन कर घुसपैठ की कोशिश होती है, और AI का उपयोग चेहरा पहचानने के लिए किया जाता है। कई ऐसे हथियार हैं जिन्हें AI की सहायता से हम रेमोटेली चला सकते हैं। आप माइन का पता भी आसानी से लगा सकते हैं। तो तकनीक के प्रयोगों के अनेकों फायदे होते हैं, और इससे हमारी अपनी मानव क्षति भी कम होती है और दुश्मन को आसानी से पहचाना जा सकता है और बर्बाद कर दिया जा सकता है," मेजर जनरल सहगल ने Sputnik को बताया।

राजनीति
महत्वपूर्ण अवसंरचना की रक्षा करने के लिए भारत साइबर सुरक्षा को अधिक प्रबल बना रहा है
आगे रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल पीके सहगल ने भारत की साइबर युद्ध क्षमताओं और भारत की रक्षात्मक और आक्रामक सैन्य चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत का पड़ोसी देश चीन इससे कहीं ज्यादा आगे है हालांकि भारत भी ऐसी तकनीक प्राप्त करनेवाला है जिससे वह भविष्य में होने वाले हमलों से बच सकेगा और दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दे सकेगा।

"आज साइबर सुरक्षा हिंदुस्तान और दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। खासकर साइबर प्रौद्योगिकी में चीन हमसे बहुत आगे है। चीन मालवेयर, इंटरनेट और अन्य तरीकों से लड़ाई से पहले ही हमारी हर तरह की संचार प्रणाली को ध्वस्त करने में सक्षम है, इसलिए वह बहुत बड़े पैमाने पर आपकी आपूर्ति प्रणाली और कमांड एण्ड कंट्रोल में समस्या पैदा कर सकता हैं। इससे बचने के लिए हम भी अपने आप को साइबर सुरक्षित बना रहे हैं। हम ऐसे सिस्टम को प्राप्त करना चाहते हैं जिसकी सहायता से हम दुश्मन पर हावी हो सकें। और हम अपने आप को उसके हमलों से भी बचा सकें। इस पर बहुत बड़ा काम हो रहा है। मुझे पक्का यकीन है कि आने वाले समय में आपको इस क्षेत्र में बड़ी सफलता दिखेगी," रक्षा विशेषज्ञ प्रमोद कुमार सहगल ने Sputnik को बताया।

भारतीय सेना ने अपनी युद्ध क्षमता को तेज करने के लिए तीन विशिष्ट तकनीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की है, जिनमें लंबी अवधि की निगरानी के लिए 130 टेथर्ड ड्रोन सिस्टम और दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में रसद आवश्यकताओं के लिए 100 रोबोट खच्चर सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त, 48 जेटपैक सूट के साथ एक टरबाइन-आधारित व्यक्तिगत गतिशीलता मंच खरीदने की प्रक्रिया शुरू हुई। मेजर जनरल सहगल ने बताया कि दुनिया भर के देश अलग अलग तरह के बख्तरबंद गाड़ियां और ड्रोन बना रहे हैं। हम भी ऐसे ड्रोन को देख रहे हैं जिनसे सभी सीमाओं पर निगरानी राखी जा सके।
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अमेरिका निर्मित MQ-9 रीपर ड्रोन को भारत बारीकी से परख रहा

"देखो बहुत बड़े पैमाने पर UAV आ रहे हैं। खास तौर पर कई देश बख्तरबंद गाड़ियां बनाने के साथ रोबोटिक टैंक, UAV भी बना रहे हैं। हमारी फौज LAC पर तैनात है, वहां पर एक एक शेल का वजन तकरीबन पच्चीस से लेकर 100 किलो तक होता है और उसको ले जाने में काफी दिक्कत होती है तो ऐसे ड्रोन बन रहे हैं जिनकी सहायता से सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके। ड्रोन को रीसप्लाइ के लिए भी प्रयोग किया जा रहा है। इनका उपयोग मेडिकल सप्लाई में भी किया जा रहा है। जहां इंसानों को पहुचाने में कई घंटे लग जाते हैं वहीं यह कुछ मिनटों में पहुंचता है। बड़े पैमाने पर ड्रोन और UAV का प्रयोग किया जा रहा है। हम ऐसे ड्रोन चाहते है जो हमारी जमीनी और समुद्री सीमाओं पर निगरानी रख सकें," प्रमोद कुमार सहगल ने बताया।

"अगर कोई संकट हो या किसी भी तरह की पनडुब्बी हो तो प्रेडटर ड्रोन की सहायता से उसे नष्ट भी किया जा सकेगा क्योंकि यह सटीक गाइडेड बॉम्ब और मिसाइल ले जा सकता है। हिंदुस्तान भी रोबाटिक टैंक्स, सोल्जर, गाड़ियां बना रहा हैं। अब आप देख सकते हैं कि DRDO ऐसे रोबोट पर काम कर रहा है जिनके हाथ में मशीन गन, वगैरह हैं," विशेषज्ञ ने कहा।

"सबसे बड़े खतरे में हमारे जवान हैं और हम उन्हें ऐसे तरह से लैस करना चाहते हैं जिससे अगर वे माइन पर भी पैर रख दें उन्हें कोई नुकसान न हो और दुशमन अगर स्टील बुलेट को भी चलाए तो उनकी जान न जाए। उनके हेलमेंट पर अलग अलग तरह के सेन्सर और नाइट विजन लगाए जाएंगे जिनसे वे रात के समय में भी दिन में जैसे देख सकेंगे। जवान की डोमेन क्षमता भी बढ़ सकती है। हिंदुस्तान के साथ साथ तमाम देश इसी प्रयास में हैं की एक भविष्य के जवान को तैयार किया जा सके जो अपने आप को बचाकर दुश्मन पर हावी होकर देश को बचा सके। AI आने वाले समय में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बॉम्ब भी ज्यादा घातक हो सकती है। जहां तक AI का गलत प्रयोग है तो इस पर अभी तक कोई नियम तय नहीं हुआ है लेकिन जल्द ही यह होना चाहिये नहीं तो इससे पहले यह इंसान को खत्म कर देगा," सेवानिवृत्त मेजर जनरल सहगल ने Sputnik को बताया।

सहगल ने रेखांकित किया कि भारत की सैन्य क्षमता और रणनीति में अंतरिक्ष, स्वायत्त हथियारों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर युद्ध में बढ़ते हुए तकनीकी परिदृश्य के कारण क्या क्या बदलाव हो रहे हैं। सेना AI का लाभ अलग अलग तरीके से उठा रही है। इसके अलावा भारत को भविष्य में होने वाले साइबर हमलों पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, उभरती प्रौद्योगिकियां केवल इस हद तक विघटनकारी हैं कि वे युद्ध के चरित्र को बदल देंगी। और भविष्य में तकनीक और प्रौद्योगिकियाँ संघर्ष बढ़ने और डी-एस्केलेशन के लिए नए रास्ते प्रदान करेंगी।
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