"पिछले कुछ सालों से साफ तौर पर नज़र आ रहा है कि आर्टिफिशल इन्टेलिजन्स और ड्रोन आज की लड़ाई में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आए हैं, इनका प्रयोग बहुत बड़े स्तर पर किया जा रहा है। दुश्मन के खतरे का पता लगाने और उसको बर्बाद करने में ये आपकी सहायता करते हैं। जहां तक AI की बात है, हिंदुस्तान की फौज इसे पांच तरहों से प्रयोग कर रही है। देखिए, कश्मीर में प्रतिदिन सेना की वर्दी पहन कर घुसपैठ की कोशिश होती है, और AI का उपयोग चेहरा पहचानने के लिए किया जाता है। कई ऐसे हथियार हैं जिन्हें AI की सहायता से हम रेमोटेली चला सकते हैं। आप माइन का पता भी आसानी से लगा सकते हैं। तो तकनीक के प्रयोगों के अनेकों फायदे होते हैं, और इससे हमारी अपनी मानव क्षति भी कम होती है और दुश्मन को आसानी से पहचाना जा सकता है और बर्बाद कर दिया जा सकता है," मेजर जनरल सहगल ने Sputnik को बताया।
"आज साइबर सुरक्षा हिंदुस्तान और दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। खासकर साइबर प्रौद्योगिकी में चीन हमसे बहुत आगे है। चीन मालवेयर, इंटरनेट और अन्य तरीकों से लड़ाई से पहले ही हमारी हर तरह की संचार प्रणाली को ध्वस्त करने में सक्षम है, इसलिए वह बहुत बड़े पैमाने पर आपकी आपूर्ति प्रणाली और कमांड एण्ड कंट्रोल में समस्या पैदा कर सकता हैं। इससे बचने के लिए हम भी अपने आप को साइबर सुरक्षित बना रहे हैं। हम ऐसे सिस्टम को प्राप्त करना चाहते हैं जिसकी सहायता से हम दुश्मन पर हावी हो सकें। और हम अपने आप को उसके हमलों से भी बचा सकें। इस पर बहुत बड़ा काम हो रहा है। मुझे पक्का यकीन है कि आने वाले समय में आपको इस क्षेत्र में बड़ी सफलता दिखेगी," रक्षा विशेषज्ञ प्रमोद कुमार सहगल ने Sputnik को बताया।
"देखो बहुत बड़े पैमाने पर UAV आ रहे हैं। खास तौर पर कई देश बख्तरबंद गाड़ियां बनाने के साथ रोबोटिक टैंक, UAV भी बना रहे हैं। हमारी फौज LAC पर तैनात है, वहां पर एक एक शेल का वजन तकरीबन पच्चीस से लेकर 100 किलो तक होता है और उसको ले जाने में काफी दिक्कत होती है तो ऐसे ड्रोन बन रहे हैं जिनकी सहायता से सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके। ड्रोन को रीसप्लाइ के लिए भी प्रयोग किया जा रहा है। इनका उपयोग मेडिकल सप्लाई में भी किया जा रहा है। जहां इंसानों को पहुचाने में कई घंटे लग जाते हैं वहीं यह कुछ मिनटों में पहुंचता है। बड़े पैमाने पर ड्रोन और UAV का प्रयोग किया जा रहा है। हम ऐसे ड्रोन चाहते है जो हमारी जमीनी और समुद्री सीमाओं पर निगरानी रख सकें," प्रमोद कुमार सहगल ने बताया।
"सबसे बड़े खतरे में हमारे जवान हैं और हम उन्हें ऐसे तरह से लैस करना चाहते हैं जिससे अगर वे माइन पर भी पैर रख दें उन्हें कोई नुकसान न हो और दुशमन अगर स्टील बुलेट को भी चलाए तो उनकी जान न जाए। उनके हेलमेंट पर अलग अलग तरह के सेन्सर और नाइट विजन लगाए जाएंगे जिनसे वे रात के समय में भी दिन में जैसे देख सकेंगे। जवान की डोमेन क्षमता भी बढ़ सकती है। हिंदुस्तान के साथ साथ तमाम देश इसी प्रयास में हैं की एक भविष्य के जवान को तैयार किया जा सके जो अपने आप को बचाकर दुश्मन पर हावी होकर देश को बचा सके। AI आने वाले समय में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बॉम्ब भी ज्यादा घातक हो सकती है। जहां तक AI का गलत प्रयोग है तो इस पर अभी तक कोई नियम तय नहीं हुआ है लेकिन जल्द ही यह होना चाहिये नहीं तो इससे पहले यह इंसान को खत्म कर देगा," सेवानिवृत्त मेजर जनरल सहगल ने Sputnik को बताया।