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मणिपुर में हिंसा के कारण 133 लोगों की मौत

यह आंकड़ा शुक्रवार को 30 जून को भारतीय मीडिया में मणिपुर अधिकारियों के हवाले से घोषित किया गया था। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रमुख इन दिनों मणिपुर के दौरे पर हैं।
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पूर्वोत्तर भारतीय राज्य मणिपुर में मई की शुरुआत से चल रही झड़पों में मरे हुए लोगों की संख्या 133 तक बढ़ गई है।

गुरुवार को मणिपुर के कांगपोकपी जिले में पहाड़ी गाँवों पर हमला करते हुए हथियारबंद चरमपंथियों और पुलिसवालों के बीच गोलीबारी के नतीजे में तीन लोग मर गए, जिनमें से एक पुलिसवाला था।
स्थिति सामान्य करने के लिए भारतीय अधिकारियों ने राज्य में सैनिकों को तैनात किया है, जो अब तक अशांति से प्रभावित 10 क्षेत्रों में स्थिति को नियंत्रित करने में कामयाब हुए। लेकिन अभी तक सुरक्षा बल सशस्त्र चरमपंथियों की गतिविधियों को पूरी तरह से रोक नहीं पाया है, जो नागरिकों, सरकारी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों पर हमले करते रहते हैं।
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टकराव की वजह मैतै समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने की इच्छा है। लेकिन बात यह है कि मणिपुर में कुकी जनजाति राज्य की आबादी का 50% से अधिक है, सो मैतै की माँग के जवाब में उनके प्रतिनिधियों ने मैतै को कई अनुसूचित जनजातियों (ST) में शामिल करने को उनके अधिकारों पर हमला माना, और "आदिवासी एकजुटता का मार्च" शुरू किया। यह दर्जा अपने प्रतिनिधियों को कई विशेषाधिकार देता है, जिनमें किसी राज्य संस्थान या उद्यम में नौकरी पाने, उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश करना और कई अन्य विशेषाधिकार भी शामिल हैं।परिणामस्वरूप मणिपुर के इलाकों पर इन दोनों जनजातियों के प्रतिनिधियों के बीच झड़पें शुरू हो गईं।
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