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यूक्रेन को आगामी ASEAN मंत्रिस्तरीय कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया गया

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन में इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई, फिलीपींस, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और म्यांमार शामिल हैं। सन 2023 में इंडोनेशिया ने ASEAN की अध्यक्षता संभाली।
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थाईलैंड के विदेश मंत्रालय में आसियान मामलों के विभाग की महानिदेशक उसाना बेरानंदा ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन को सन 2023 में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के मंत्रिस्तरीय कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया गया है।

"पिछले साल यूक्रेन के प्रतिनिधियों को कंबोडिया में आसियान मंत्रिस्तरीय कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया था क्योंकि यूक्रेन दक्षिण पूर्व एशिया में मित्रता और सहयोग की संधि (TAC) में प्रवेश कर रहा था। इस वर्ष कई और देश संधि में प्रवेश कर रहे हैं, और उनके प्रतिनिधियों को इस वर्ष के आयोजनों में आमंत्रित किया गया है। यूक्रेन को इस वर्ष मंत्रिस्तरीय कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया गया है," बेरानंदा ने एक ब्रीफिंग के दौरान संवाददाताओं से कहा।

अधिकारी ने यह भी कहा कि ASEAN के संवाद और रणनीतिक साझेदार होकर रूस के प्रतिनिधि समान दर्जा के राज्यों की भागीदारी वाले सभी बहुपक्षीय आयोजनों में शामिल होंगे। बेरानंदा ने याद किया कि रूस पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) का सदस्य और ASEAN क्षेत्रीय फोरम (ARF) का स्थायी सदस्य है।

"इसके अलावा कार्यक्रम में Russia-ASEAN Post Ministerial Conference भी शामिल है, जो ASEAN और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ को समर्पित है, जिसके बाद एक अलग संयुक्त दस्तावेज़ जारी किया जाएगा।" थाई अधिकारी ने कहा।

बेरानंदा ने इस बात पर भी जोर दिया कि ASEAN और रूस के बीच दीर्घकालिक साझेदारी दोनों पक्षों के हितों में है, क्योंकि यह द्विपक्षीय सहयोग अंतरराष्ट्रीय अपराध और साइबर सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों पर अच्छा प्रभाव डालता है।
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वहीं अधिकारी के मुताबिक यूक्रेन में संघर्ष जकार्ता में ASEAN मंत्रिस्तरीय सप्ताह की कार्यसूची में होगा।

भारत और अन्य देशों जैसे ASEAN के सदस्य देश संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, वे उन देशों के साथ बहुपक्षीय आयोजनों में भाग लेते हैं, जिनके बीच यह संघर्ष पैदा हुआ था। इन आयोजनों के दौरान ये देश बाहर से अपनी राय बताते हैं और इस संघर्ष के अपने देशों पर डालते हुए असर को लेकर अपनी आशंकाएँ जताते हैं।

बेरानंदा ने कहा कि कुछ देश मध्यस्थ की तरह कार्य करेंगे।

"उदाहरण के लिए वे पहले रूसी पक्ष से और फिर अमेरिकी पक्ष से बात करेंगे, और आम सहमति प्राप्त करने की कोशिश करेंगे जिसके तहत समझौते संभव होंगे," बेरानंदा ने समझाया।

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