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जानें रूस की खुफिया एजेंसी KGB क्या है?

दुनियाभर में तमाम देशों के नेता अपने अपने देशों की सुरक्षा के लिए गुप्तचर विभाग रखते हैं जो उन्हे आने वाले किसी भी खतरे से आगाह करते हैं, लेकिन इतिहास में थोड़ा पीछे जाए तो हम पाएंगे दुनिया का सबसे तेज खुफिया विभाग सोवियत संघ का KGB या रूस का KGB।
Sputnik
आज हम आपको बताने जा रहे हैं सोवियत संघ की उस खुफिया एजेंसी के बारे में जिससे सभी देशों के मन में डर बना रखा था। तो सोवियत संघ या रूस का KGB क्या है? इस संघठन ने अपने अस्तित्व में आने से लेकर खत्म होने के बीच में ऐसे मुकाम हासिल किए जिन्हें आज तक खुफिया सम्माज में याद किया जाता है।
KGB (राज्य सुरक्षा समिति) की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1954 में हुई थी। यह एक ऐसा संगठन था जिसने बहुत कम समय में अपनी काबिलियत के दम पर दुनिया के सबसे बड़े खुफिया संगठन का दर्जा हासिल कर लिया था। इस संगठन से सभी देश खौफ खाते थे और मुख्य तौर से इसका काम देश की और राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा, विदेशी और आंतरिक खुफिया गतिविधियों पर नजर रखना था।
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क्या है KGB और इसे किसने बनाया?

KGB का पूर्ण रूप 'कोमिटेट गोसुडार्स्टवेनॉय बेज़ोपास्नोस्टी' है जिसका अनुवाद 'कमेटी फॉर स्टेट सिक्योरिटी' होता है। यह संगठन एक अत्यधिक शक्तिशाली और गुप्त संगठन के रूप में जाना जाता था, कहा जाता है कि KGB ने सोवियत संघ से लेकर दुनिया भर के तमाम देशों में हजारों लोगों को रोजगार दिया था। इस संगठन का मुख्यालय रूस के मास्को में लुब्यंका स्क्वायर पर स्थित था। यह वही इमारत है जहां अभी रूस की खुफिया एजेंसी संघीय सुरक्षा सेवा (FSB) का दफ्तर है। FSB का काम भी KGB की भांति समान है।
इस संगठन का नाम एक समय दुनिया के सबसे बड़े जासूसी संगठन के रूप में लिया जाता था। मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया है कि एक समय में KGB में लगभग 480,000 एजेंट थे। सोवियत संघ के इस खुफिया विभाग ने अपने समय में अनुमानित लाखों मुखबिरों का उपयोग किया था।
KGB सोवियत संघ की सरकार द्वारा स्थापिय किया गया था। 1954 से 1991 तक KGB सोवियत संघ की प्राथमिक सुरक्षा और खुफिया एजेंसी थी। KGB ने एक खुफिया एजेंसी और "गुप्त पुलिस बल" दोनों के रूप में काम किया जो देश को घरेलू और विदेशी खतरों से सुरक्षित रखती थी।
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KGB से पहले रूसी पुलिस क्या थी?

व्लादिमीर लेनिन ने 1917 में रूस की पहली सुरक्षा एजेंसी चेका बनाई थी, सन 1922 में चेका GPU (राज्य राजनीतिक प्रशासन) बन गया था और फिर सोवियत संघ के गठन के बाद 1923 में OGPU (एकीकृत राज्य राजनीतिक प्रशासन) के रूप में पुनर्गठित किया गया। OGPU को 1934 में NKVD (पीपुल्स कमीसेरिएट ऑफ इंटरनल अफेयर्स) में सम्मिलित कर लिया गया।
साल 1941 में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी NKVD से NKGB (राज्य सुरक्षा के लिए पीपुल्स कमिश्रिएट) को दे दी गई और 1946 में दोनों एजेंसियां आंतरिक मामलों का मंत्रालय (MVD) और राज्य सुरक्षा मंत्रालय (MGB) में बदल दी गईं। मार्च 1953 में जोसेफ़ स्टालिन की मृत्यु के तुरंत बाद, MGB को आंतरिक मामलों के मंत्रालय (MVD) में वापस विलय कर दिया गया और फिर KGB को 1954 में "कम्युनिस्ट पार्टी की तलवार और ढाल" के रूप में बनाया गया।

कितने देशों में KGB थी?

ऐसा बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान KGB का जासूसी नेटवर्क इतना प्रभावी था कि स्टालिन को संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस की सैन्य गतिविधियों के बारे में सब पता था और अगर KGB की घुसपैठ की बात करे तो वह इस स्तर पर थी कि पश्चिम की सभी खुफिया एजेंसियों में KGB के लोग थे।
सोवियत संघ से अलग हुआ बेलारूस एकमात्र राज्य है जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा संगठन अभी भी KGB है।
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KGB को अब क्या कहते हैं?

सोवियत संघ के विघटन के बाद, 1992 की शुरुआत में KGB के आंतरिक सुरक्षा कार्यों को पहले सुरक्षा मंत्रालय के रूप में और दो साल से भी कम समय के बाद फेडरल काउंटर इंटेलिजेंस सर्विस (FSK) के रूप में पुनर्गठित किया गया था, जिसे राष्ट्रपति के नियंत्रण में रखा गया था। रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने 1995 में इस सेवा का नाम बदलकर FSB कर दिया।
राष्ट्रपति ने नाम बदलने के साथ साथ इसे अतिरिक्त शक्तियां दीं जिससे यह संगठन रूसी विदेशी खुफिया सेवा (SVR) के सहयोग से रूस के साथ-साथ विदेशों में खुफिया गतिविधियों का संचालन करने में सक्षम हो गई। साल 2000 में सत्ता में आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन FSB के प्रभारी थे।

KGB में पुतिन की क्या भूमिका थी?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 1975 में लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के बाद खुफिया सेवा KGB में सम्मिलित हो गए थे।
राष्ट्रपति पुतिन साल 1975 से लेकर 1991 के बीच KGB में रहे और इस दौरान उन्होंने एक विदेशी खुफिया अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
उनकी सेवाओं के लिए साल 1987 में उन्हें 'GDR की नेशनल पीपुल्स आर्मी के लिए विशिष्ट सेवा' के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन को साल 1988 में 'नेशनल पीपुल्स आर्मी के मेरिट मेडल' और फिर बैज ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया।
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