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इमरान खान की गिरफ़्तारी के पीछे है राजनीतिक षड्यंत्र? जानिए विशेषज्ञ की राय

5 अगस्त को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद की ट्रायल कोर्ट द्वारा तोशखाना केस में दोषी पाए जाने और तीन साल जेल की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। खान के वकील ने अदालत के फैसले को न्याय की हत्या बताया। खान के समर्थकों ने सजा को चुनाव से पहले राजनीतिक हस्तक्षेप माना।
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शनिवार को इमरान खान की गिरफ्तारी से पता चला है कि पाकिस्तानी सरकार के अधिकारी पूर्व प्रधान मंत्री को ‘चुनाव से बाहर’ रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, पत्रकार वकास अहमद ने Sputnik को बताया।

क्या इमरान खान की गिरफ़्तारी राजनीतिक दमन का एक और प्रयास है?

विशेषज्ञ ने कहा कि इमरान खान को गिरफ्तार करने का जो फैसला किया गया था, दिखावे से राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित था।

"इस्लामाबाद की एक अदालत ने तोशाखाना मामले में 'भ्रष्ट आचरण' के आरोप में खान को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी। साफ है कि यह कदम पूर्व प्रधान मंत्री के राजनीतिक दमन का एक और प्रयास था," पत्रकार ने कहा।

पत्रकार ने बताया, अपील अदालत अगर इस फैसले को हटा न देगी, तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई – पाकिस्तान मूवमेंट ऑफ जस्टिस) के नेता पांच साल तक राष्ट्रीय चुनाव में न लड़ सकेंगे।
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पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान चुनाव आयोग ने इमरान खान से उनकी संसदीय शक्तियों का अधिकार भी छीन लिया था। उसने इमरान खान को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पर तोशाखाना के तोहफे बेचने और इससे मुनाफ़ा हासिल करने का आरोप लगाया था। वर्तमान प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के अनुसार इमरान खान ने दुबई में कुल 140 मिलियन पाकिस्तानी रुपये ($500,000) का सरकारी खजाना बेचा।
वकास अहमद ने भ्रष्टाचार के इस दावे पर आपत्ति जताई कि ये तोहफे ‘अवैध रूप से’ बचे गए थे। कानून के मुताबिक अगर अधिकारी को विदेश नेता से कोई तोहफा मिला, तो इस तोहफे को देश के खजाने में जमाना है। लेकिन यदि अधिकारी किसी तोहफे को अपने पास रखना चाहेगा, तो यह उस तोहफे के मूल्य की एक विशिष्ट राशि का भुगतान करके किया जा सकता है।

"बाद में आप इस तोहफे का क्या कर सकते हैं, यह कानून में लिखा नहीं। साफ है कि इस मामले में न्यायाधीश में खान के प्रति नापसंदगी थी, न्यायाधीश "सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा समर्थित" थे," पत्रकार ने जोर देकर कहा।

इस्लामाबाद की ट्रायल कोर्ट का यह फैसला शहबाज़ शरीफ की इस घोषणा के कुछ दिन पहले आया था कि उनकी अगुवाई वाली गठबंधन सरकार संसद को भंग करेगी, जिसके बाद अस्थायी सदस्यों की एक सभा पाकिस्तान में नए चुनाव आयोजित करेंगे।
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अदालत के फैसले के सुनाए जाने के तुरंत बाद खान के समर्थकों और उनके वकीलों ने इस फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया और साथ ही कहा कि यह एक ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध किया गया जो पाकिस्तान में सबसे लोकप्रिय राजनेता बना हुआ है।

"हमें मौका भी नहीं दिया गया। हमें [खान के] बचाव में कुछ भी कहने या अपनी दलीलें पेश करने की भी अनुमति नहीं दी गई। मैंने इस तरह का अन्याय पहले नहीं देखा – यह न्याय की हत्या है", पाकिस्तानी मीडिया ने वकील गोहर खान के हवाले से कहा।

वकास अहमद ने कहा, पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी सरकार के दलों की इमरान खान और उनकी पीटीआई को कमजोर करने की कोशिशों के बावजूद, वे ऐसा करने में नाकाम रहे हैं। हाल ही में पेशावर में स्थानीय चुनाव हुआ तो पीटीआई ने भारी बढ़त के साथ अपनी जीत दर्ज की।

"तो यह एक मिथक है। यही कारण है कि इतने बड़े सामूहिक दमन के बावजूद... 10,000 लोगों को जेल में डालने के बावजूद पीटीआई जीत हासिल करती रही है," पत्रकार ने कहा।

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वकास अहमद ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि जैसे ही देश में चुनाव की तारीख निर्धारित हो, लोग मतदान करने जाएंगे। उनके वोट इस शासन के खिलाफ और सेना के खिलाफ होंगे।"
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