लद्दाख स्टैन्डॉर्फ
भारत और चीन की सेनाओं के बीच 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बड़ी झड़पें हुईं। तभी से, दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।

चीन के नए आधिकारिक मानचित्र से भारत में आक्रोश

चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा सोमवार शाम को जारी "चीन के मानक मानचित्र के 2023 संस्करण" में विवादित अक्साई चिन क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश राज्य को चीनी क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाने पर भारत में काफी आक्रोश व्याप्त है।
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बीजिंग अक्साई चिन क्षेत्र को नियंत्रित करता है, जबकि भारतीय शासित राज्य अरुणाचल प्रदेश पर संप्रभुता का दावा करता है, जिसे बीजिंग दक्षिण तिब्बत का हिस्सा कहता है।
दरअसल मानचित्र में दक्षिण चीन सागर को नौ-डैश रेखा के अंतर्गत और दसवां डैश ताइवान के आसपास दर्शाया गया है।
इस बीच पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने मानचित्र जारी करने के समय पर सवाल उठाया, क्योंकि यह दिल्ली में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले प्रकाशित किया गया है, जहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग कथित तौर पर उपस्थित होंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मानचित्र पर टिप्पणी करते हुए सरकार से प्रतिक्रिया का आग्रह किया। वहीं कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने चीनी आधिकारिक मानचित्र को "बेतुका" बताया है।
गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात हुई थी। इसके बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं से अवगत कराया।

“प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का निरीक्षण और सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक है। इस संबंध में, दोनों नेता अपने संबंधित अधिकारियों को शीघ्र विघटन और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए,'' क्वात्रा ने कहा था।

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पीएम मोदी और शी जिनपिंग लद्दाख में तनाव घटाने पर सहमत
बता दें कि बीजिंग ने इस साल अप्रैल महीने में 11 भारतीय स्थानों का "नाम" बदल दिया था, जिसमें पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों के नाम शामिल थे। इससे पहले साल 2017 और 2021 में, चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अन्य भारतीय स्थानों का नाम बदल दिया था, जिस पर भारत ने ऐतराज जताया था।
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