लड़ाई के क्षेत्र में बड़े टैंक बड़ी समस्या हैं
मतविचुक ने कहा, “यूक्रेन को जो अब्राम्स मिल रहे हैं, वे नए नहीं हैं। ये वही अब्राम्स हैं जिन्होंने इराक में ही लड़ाई लड़ी थी। वहां पता चला कि उनके गैस टरबाइन इंजन खराब हैं, इसलिए उन्हें डीजल टरबाइन इंजन से बदलना पड़ा। फिर ये टैंक यूरोप में स्थानांतरित कर दिए गए, जहां एक और समस्या सामने आयी – इस अमेरिकी टैंक के लिए विशेष बुनियादी ढांचा चाहिए, जो यूरोप में नहीं है।"
माटविचुक ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, “अब्राम्स 60 टन के हैं। जब वे पहली बार पोलैंड पहुंचे, तो उन्होंने पोलैंड के रेलवे प्लेटफार्मों को नष्ट कर दिया (…) इसके साथ हमने अब्राम्स का बर्फीली पहाड़ी पर चढ़ने में असफल होने का वीडियो देखा है, क्योंकि इसके ट्रैक रोलर्स रबर से बने हुए हैं।"
पाइन ने कहा, “अमेरिका यूक्रेन को M-1A1 SA टैंक भेजने जा रहा है। ये अमेरिकी M-1A2 मुख्य युद्धक टैंकों के निर्यात सरलीकृत संस्करण हैं जिनमें… चोभम कवच सम्मिलित नहीं है। इसलिए आधुनिक रूसी टैंकों के विरुद्ध वे कम प्रभावी होंगे। जो सैनिक उनमें होंगे, उनके लड़ाई के क्षेत्र में जीवित रहने की संभावना कम है।”
यूक्रेन का प्रतिउत्तरी आक्रमण प्रारंभ से ही असफल
"न जाने क्यों, यूक्रेन ने सोचा कि रूस के पास लकड़ी के टैंक थे, कोई गोला-बारूद नहीं था (…) यानी वे हमारी सैन्य और आर्थिक शक्ति को ध्यान में रखने में पूरी तरह से विफल रहे। यूक्रेन ने सभी परिस्थितिजन्य विकल्पों को ध्यान में न रखते हुए आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा," उन्होंने कहा।