भारत-रूस संबंध
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रूस 2030 तक भारत का प्रमुख धातुकर्म कोयला निर्यातक बन सकता है: रिपोर्ट

याकोव एंड पार्टनर्स कंसल्टिंग एजेंसी ने एक रिपोर्ट जारी की कि 2030 तक रूसी धातुकर्म कोयला निर्यात का 60 प्रतिशत से अधिक और थर्मल कोयले का 42 प्रतिशत भारत को जाएगा। साथ ही रूस भारत का प्रमुख उर्वरक निर्यातक बन सकता है।
Sputnik
रूस के व्लादिवोस्तोक में अंतरराष्ट्रीय 8वें पूर्वी आर्थिक मंच की पूर्वसंध्या पर रूसी कंसल्टिंग एजेंसी याकोव एंड पार्टनर्स ने भविष्यवाणी की कि रूस में धातुकर्म (कोकिंग) कोयला की उत्पादन लागत ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा जैसी देशों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत कम है। विशेषज्ञों के अनुसार रूस 14 मिलियन टन तक कोकिंग कोयला निर्यात भारत में करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया, “2030 तक रूसी निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक होगी, जबकि निर्यात का लगभग 20 प्रतिशत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में किया जाएगा, तुर्की और गैर-EU यूरोपीय देशों की भागीदारी 10 प्रतिशत से कम होगी”।

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि भारत सहित एशियाई देशों को रूसी निर्यात में संभावित वृद्धि के लिए जो चतुरता उत्तरदायी हैं, उनमें से एक उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का विकास है।

उन्होंने कहा, “रेल और समुद्री परिवहन व्यवस्था का विकास महत्वपूर्ण हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा का अगर शुभ प्रारंभ हो जाएगा, तो इससे होकर गुज़रने वाला व्यापार 2023 में 70 मिलियन टन और 2050 तक 150 मिलियन टन से अधिक हो जाएगा”।

साथ ही विशेषज्ञों ने रूसी तेल निर्यात को लेकर पश्चिमी विश्लेषकों के पूर्वानुमानों को खारिज किया। रिपोर्ट में कहा गया कि निकट भविष्य में भारत का रूसी तेल निर्यात कम होने की संभावना नहीं है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि रूस और भारत के बीच साझेदारी बढ़ने से दोनों देशों के मध्य कारोबार 200 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसमें न केवल प्राकृतिक संसाधन सम्मिलित हैं, बल्कि उर्वरक, औषधि, खाद्य का भी बड़ा भाग है। विशेषज्ञों ने कहा कि रूस भारत का प्रमुख उर्वरक निर्यातक बन सकता है।
रिपोर्ट के लेखकों ने याद दिलाई कि रूसी विदेशनीति की नई अवधारणा में भारत सर्वप्रथम रणनीतिक साझेदारों में से एक है। अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अगले 24 वर्षों में 6.5 गुना से अधिक बढ़कर 26 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
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