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भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के आयात को पर्याप्त रूप से सरकारी समर्थन प्राप्त है: विशेषज्ञ
भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के आयात को पर्याप्त रूप से सरकारी समर्थन प्राप्त है: विशेषज्ञ
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उक्रअईना के विरूद्ध छिड़े विशेष सैन्य अभियान के कारण पश्चिम द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मास्को बीजिंग को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक बनकर उभरा है।
2023-08-12T13:02+0530
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ऑयल मार्केट विशेषज्ञ अर्पित चांदना ने Sputnik को बताया कि भारत सरकार की अनुकूल नीतियां भारत में रूसी तेल आयात के उच्च स्तर को बनाए रखने में सहायता करती हैं। यही कारण है कि हाल के पिछले कुछ महीनों में हमने भारत में रूसी कच्चे तेल के आयात में तगड़े उछाल को देखा है।रूसी तेल आयात पर अर्पित चंदना की टिप्पणी ठीक उसी समय आई, जब पश्चिमी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट दी कि भारत को रूस से यूराल्स ग्रेड कच्चे तेल पर मिल रही भारी छूट में अत्यंत गिरावट आई है।वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भले ही रूसी तेल से डिस्काउंट कम हो गया हो, लेकिन वह अभी भी खाड़ी देशों की तुलना में कम है।जुलाई में भारत के कच्चे तेल आयात में सऊदी अरब और इराक़ की भागीदारी क्रमशः 20 प्रतिशत और 11 प्रतिशत हो गई है जो जून में 18 प्रतिशत और 16 प्रतिशत थी।उल्लेखनीय है कि रूसी तेल ऑयल मार्केट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत के तेल आयात में रूस की भागीदारी लगभग 40 प्रतिशत है।भारत के क्रूड आयात बास्केट में रूस का दबदबाऑयल मार्केट विशेषज्ञ ने इस बात पर बल दिया है कि भारत का बड़ा रूसी तेल आयात 40 प्रतिशत से भी अधिक के आयातक के स्तर पर अप्रैल 2023 से बना हुआ है। रूस से आयात सऊदी अरब, इराक़ और फिर संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे देशों से सामूहिक रूप से ख़रीदे गए तेल के आंकड़ों को भी पार कर गया है।अर्पित के अनुसार यह प्रवृत्ति पारंपरिक आपूर्तिकर्ता गतिशीलता के पुन: अंशांकन पर प्रकाश डालती है, जो मुख्यतः अलग-अलग मूल्य निर्धारण रणनीतियों द्वारा संचालित होती है।अर्पित के अनुसार, "इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय रिफ़ाइनर्स को रूसी तेल आयात को बरकरार रखने के लिए सरकार ने बढ़ावा दिया है।" विशेषज्ञ ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, "पिछले साल फ़रवरी में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद मास्को के कच्चे तेल उत्पादन को अपने पुराने मित्र और रणनीतिक साझेदार भारत से समर्थन मिला।"उन्होंने यह बात भी सामने रखी कि तेल बाज़ार की तात्कालिक स्थिति औपेक और रूस के तेल उत्पादन में कटौती के रणनीतिक कार्यान्वयन से संबंधित है।भारत में कच्चे तेल की मांग में तेजी देखी जा रही हैऑयल मार्केट विशेषज्ञ को आशा है कि रूस के तेल उत्पादन में कटौती होने पर भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की तेल मांग बढ़ेगी।पिछले महीने जहां रूस से तेल आपूर्ति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जुलाई में भारत का रूसी तेल आयात में थोड़ी-सी गिरावट आई।जून में भारतीय कंपनियों को जहां 2.11 मिलियन बीपीडी प्राप्त हुआ, वहीं जुलाई में इसकी मात्रा घटकर 2.09 मिलियन बीपीडी हो गई। लेकिन अर्पित ने इस गिरावट के लिए मॉनसून के आगमन को उत्तरदायी ठहराया। मॉनसून के कारण लगभग प्रत्येक साल भारत की तेल मांग में गिरावट देखी जाती है।इस बीच, उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि पिछले वर्ष की समान अवधि में भारत के कुल कच्चे तेल के आयात को देखते हुए अगस्त और सितंबर महीनों में वह थोड़ा कम होने का अनुमान है।
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उक्रअईना के विरूद्ध छिड़े विशेष सैन्य अभियान के कारण पश्चिम द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध, भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक, पश्चिमी मीडिया, विशेष सैन्य अभियान, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध, रिकॉर्ड वृद्धि, पश्चिमी मीडिया, रूसी तेल की खरीद लागत में वृद्धि, खाड़ी देशों की तुलना में रूस के तेल की कीमतें, आयातित तेल, रिफाइनरी मांग, सऊदी अरब और इराक की भारत में आपूर्ति हिस्सेदारी, पारंपरिक आपूर्तिकर्ता गतिशीलता, पारंपरिक खिलाड़ियों की बाजार हिस्सेदारी, उच्च प्रीमियम, मौजूदा बाजार परिदृश्य, ओपेक और रूस द्वारा तेल उत्पादन में कटौती, मौसमी मांग पैटर्न, त्योहारी सीजन की शुरुआत, russian crude imports india hindi, russian crude imports indiain hindi, hindi news russian oil imports india, russian oil supplies india hindi news, news in hindi russian crude supplies india, russian oil deliveries india hindi, russian crude deliveries india in hindi, moscow oil exports delhi hindi news, moscow oil exports new delhi hindi
भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के आयात को पर्याप्त रूप से सरकारी समर्थन प्राप्त है: विशेषज्ञ
उक्रअईना के विरूद्ध छिड़े विशेष सैन्य अभियान के कारण पश्चिम द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मास्को बीजिंग को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक बनकर उभरा है।
ऑयल मार्केट विशेषज्ञ अर्पित चांदना ने Sputnik को बताया कि भारत सरकार की अनुकूल नीतियां भारत में रूसी तेल आयात के उच्च स्तर को बनाए रखने में सहायता करती हैं। यही कारण है कि हाल के पिछले कुछ महीनों में हमने भारत में रूसी कच्चे तेल के आयात में तगड़े उछाल को देखा है।
रूसी तेल आयात पर अर्पित चंदना की टिप्पणी ठीक उसी समय आई, जब पश्चिमी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट दी कि भारत को रूस से
यूराल्स ग्रेड कच्चे
तेल पर मिल रही भारी छूट में अत्यंत गिरावट आई है।
वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भले ही रूसी तेल से डिस्काउंट कम हो गया हो, लेकिन वह अभी भी
खाड़ी देशों की तुलना में कम है।
डेटा इंटेलिजेंस फर्म वोर्टेक्सा लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है। भारत कुल आवश्यकता का 80 प्रतिशत से भी अधिक कच्चा तेल आयात से पूरा करता है।
जुलाई में भारत के कच्चे तेल आयात में सऊदी अरब और इराक़ की भागीदारी क्रमशः 20 प्रतिशत और 11 प्रतिशत हो गई है जो जून में 18 प्रतिशत और 16 प्रतिशत थी।
उल्लेखनीय है कि रूसी तेल ऑयल मार्केट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत के तेल आयात में रूस की भागीदारी लगभग 40 प्रतिशत है।
भारत के क्रूड आयात बास्केट में रूस का दबदबा
ऑयल मार्केट विशेषज्ञ ने इस बात पर बल दिया है कि भारत का बड़ा रूसी तेल आयात 40 प्रतिशत से भी अधिक के आयातक के स्तर पर अप्रैल 2023 से बना हुआ है। रूस से आयात सऊदी अरब, इराक़ और फिर संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे देशों से सामूहिक रूप से ख़रीदे गए तेल के आंकड़ों को भी पार कर गया है।
अर्पित के अनुसार यह प्रवृत्ति पारंपरिक आपूर्तिकर्ता गतिशीलता के पुन: अंशांकन पर प्रकाश डालती है, जो मुख्यतः अलग-अलग मूल्य निर्धारण रणनीतियों द्वारा संचालित होती है।
"इन दिग्गज खिलाड़ियों को तेल बाज़ार में अपनी भागीदारी में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली है। इसका बड़ा कारण है कि वे उच्च अधिमूल्य लागत स्वरूप लगाते हैं। रूसी शर्तें अधिक आकर्षक हैं", विशेषज्ञ ने Sputnik को शुक्रवार को बताया।
अर्पित के अनुसार, "इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय रिफ़ाइनर्स को रूसी तेल आयात को बरकरार रखने के लिए सरकार ने बढ़ावा दिया है।" विशेषज्ञ ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, "पिछले साल फ़रवरी में
रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद मास्को के कच्चे तेल उत्पादन को अपने पुराने मित्र और रणनीतिक साझेदार भारत से समर्थन मिला।"
उन्होंने यह बात भी सामने रखी कि तेल बाज़ार की तात्कालिक स्थिति
औपेक और रूस के
तेल उत्पादन में कटौती के रणनीतिक कार्यान्वयन से संबंधित है।
"7 अप्रैल को सऊदी अरब की अगुवाई वाले औपेक ने तेल उत्पादन में कटौती करने की घोषणा की थी। रूस इस निर्णय के अंतर्गत 5 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) तेल उत्पादन में कटौती करने पर सहमत हुआ है। इसके अतिरिक्त अगस्त की शुरुआत में रूस ने स्वेच्छा से अपने तेल निर्यात में और 5 लाख बीपीडी की कटौती करेगा", अर्पित ने कहा।
भारत में कच्चे तेल की मांग में तेजी देखी जा रही है
ऑयल मार्केट विशेषज्ञ को आशा है कि रूस के तेल उत्पादन में कटौती होने पर भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की तेल मांग बढ़ेगी।
पिछले महीने जहां रूस से तेल आपूर्ति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जुलाई में भारत का रूसी तेल आयात में थोड़ी-सी गिरावट आई।
जून में भारतीय कंपनियों को जहां 2.11 मिलियन बीपीडी प्राप्त हुआ, वहीं जुलाई में इसकी मात्रा घटकर 2.09 मिलियन बीपीडी हो गई। लेकिन अर्पित ने इस गिरावट के लिए मॉनसून के आगमन को उत्तरदायी ठहराया। मॉनसून के कारण लगभग प्रत्येक साल भारत की तेल मांग में गिरावट देखी जाती है।
इस बीच, उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि पिछले वर्ष की समान अवधि में भारत के कुल कच्चे तेल के आयात को देखते हुए अगस्त और सितंबर महीनों में वह थोड़ा कम होने का अनुमान है।
"मॉनसून के चले जाने और भारत में नये उत्सव का मौसम प्रारंभ होने के उपरांत पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू मांग बढ़ने की आशा है", अर्पित ने अपनी बात पूर्णतः समाप्त करते हुए कहा।