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भारत में 15 लोगों की मौत का कारण स्क्रब टाइफस संक्रमण क्या है?

स्क्रब टाइफस दक्षिण पूर्व एशिया और उससे जुड़े द्वीपसमूह, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और जापान में हुआ, जहां इस बीमारी का वर्णन पहली बार 1899 में किया गया था, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस संक्रमण की वजह से प्रशांत क्षेत्र के ग्रामीण या जंगली क्षत्रों में नियुक्त हजारों सैनिकों को या तो अपनी जान गँवानी पड़ी थी या फिर वे अक्षम हो गए थे।
Sputnik
भारत में आजकल स्क्रब टाइफस नाम का एक नया संक्रमण पैर पसार रहा है, भारत के कुछ हिस्सों में यह अत्यधिक संक्रामक रोग अप्रत्याशित मौतों का कारण बन रहा है, इसने ओडिशा राज्य में 6 और पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के शिमला में 9 लोगों को अपना शिकार बनाया है।
मौतों का आंकड़ा बढ़ने से रोकने के लिए ओडिशा सरकार ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस की मौसमी वृद्धि के लिए निगरानी बढ़ाने के लिए कहा है, इसके साथ साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने सभी मुख्य जिला चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिया है।

"राज्य भर के अधिकांश जिलों से स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम और प्रबंधन के लिए समय पर उपचार सुनिश्चित करने के लिए शीघ्र निदान के लिए गहन निगरानी प्रणाली को प्रबल करने की आवश्यकता है," ओडिशा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के एक बयान में कहा गया है।

इस बीच भारत का पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला भी इससे अछूती नहीं रही है और राज्य की राजधानी के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (IGMC) ने घातक संक्रमण के लक्षण प्रदर्शित करने वाले रोगियों की बड़ी संख्या देखी है।
अधिकारियों के अनुसार जिले में संक्रमण के कुल 295 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
Sputnik आपको इस भयानक संक्रमण और इससे बचने के उपायों के बारे में बताने जा रहा है।

क्या है स्क्रब टाइफस?

स्क्रब टाइफस या बुश टाइफस के नाम से जाना जाने वाला एक संक्रमण है जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से लोगों में फैलता है।
प्रायः देखा गया है कि यह उन लोगों को अपना शिकार बनाता है जो खेतों या जंगलों में बार-बार जाते हैं।

स्क्रब टाइफस के लक्षण क्या हैं?

संक्रमित लार्वा माइट्स के काटे जाने के लगभग 10 से 12 दिनों बाद व्यक्ति स्क्रब टाइफस से बीमार पड़ जाता है और काटे जाने वाली जगह पर लाल या गुलाबी रंग का घाव दिखाई देने लगते हैं।
बुखार की शुरुआत से एक सप्ताह बाद धड़ पर गुलाबी रंग के दाने देखे जा सकते हैं जो हाथ और पैरों तक फैल सकते हैं। हालांकि बुखार दो सप्ताह में समाप्त हो सकता है लेकिन यह तीन या चार सप्ताह तक भी बना रह सकता है जो असामान्य बात नहीं है।
संक्रमण के लक्षणों में ठंड लगने के साथ तेज बुखार होना, भयंकर सिरदर्द, सूखी खांसी, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द, काटने की जगह पर गहरे पपड़ी जैसे घाव, बढ़े हुए लिम्फ नोड, शरीर पर लाल धब्बे या चकत्ते पड़ना, लाल आँखें, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं और यकृत और प्लीहा का बढ़ना सम्मिलित हैं।
Relatives of patients wait in a corridor at the Sarojini Naidu Children’s Hospital, in Prayagraj, Uttar Pradesh state, India, Wednesday, Sept. 15, 2021.

स्क्रब टाइफस से कैसे बचा जा सकता है?

अभी वैज्ञानिकों के पास इससे बचाव के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। स्क्रब टाइफस से बचने के लिए मात्र एक ही तरीका है कि खुले मैदान में जाने से पहले इस बात का ध्यान रखा जाए कि संक्रमित चिगर्स के संपर्क में न आया जाए।
कृंतक नियंत्रण और स्वच्छता बनाए रखने पर ध्यान देकर कोई भी व्यक्ति संक्रमित होने से बच सकता है, पालतू जानवरों को संभालते समय सतर्क रहना, खुली त्वचा पर घुन निरोधक लगाना, और झाड़ियों और कम वनस्पति को हटाने सहित आसपास की नियमित सफाई करना।

स्क्रब टाइफस का परीक्षण कैसे होता है?

मरीज को अगर बुखार कई दिनों तक बना रहता है तो संक्रमण का पता लगाने के लिए मरीज को एलिसा परीक्षण से गुजरना पड़ता है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या मरीज स्क्रब टाइफस से पीड़ित है।
यह परीक्षण राज्य के सभी जिला मुख्यालय अस्पतालों की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में आसानी से उपलब्ध है। इससे शीघ्र निदान करके रोग का प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है।

स्क्रब टाइफस का इलाज क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) के अनुसार स्क्रब टाइफस का इलाज एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से किया जाना चाहिए। डॉक्सीसाइक्लिन का उपयोग किसी भी उम्र के व्यक्ति पर किया जा सकता है।
स्क्रब टाइफस के लिए, एंटीबायोटिक सबसे प्रभावी होते हैं यदि लक्षण प्रारंभ होने के तत्काल बाद दिए जाएं और यह देखा गया है कि जिन लोगों का डॉक्सीसाइक्लिन से शीघ्र उपचार किया जाता है वे प्रायः जल्दी ठीक हो जाते हैं।
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