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भारत के केरल में फैला निपाह वायरस क्या है?
भारत के केरल में फैला निपाह वायरस क्या है?
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भारत के दक्षिणी राज्य केरल में निपाह वायरस फैलने के संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को कोझिकोड में बंद कर दिया है, सोशल मीडिया के जरिए कोझिकोड की जिलाधिकारी ने छुट्टियों की घोषणा की।
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भारत के दक्षिणी राज्य केरल में निपाह वायरस फैलने के संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को कोझिकोड में बंद कर दिया है, सोशल मीडिया के जरिए कोझिकोड की जिलाधिकारी ने छुट्टियों की घोषणा की। अभी तक केरल में पाँच लोग इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, हाल ही में सबसे ताजा मामला बुधवार को आया जब एक 24 वर्षीय स्वास्थ्य कर्मी इस वायरस से ग्रसित पाया गया। स्थानीय मीडिया ने सरकार के हवाले से कहा कि जिन 13 अन्य लोगों में हल्के लक्षण हैं, उनकी अब अस्पताल में निगरानी की जा रही है इसके अतिरिक्त मात्र 9 साल का एक बच्चा गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में है। बच्चे के उपचार के लिए आईसीएमआर से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का ऑर्डर दिया गया है। यह निपाह वायरस संक्रमण के लिए एकमात्र उपलब्ध एंटी-वायरल उपचार है, हालांकि यह अभी तक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध नहीं हुआ है। केरल के कोझिकोड में निपाह के मामले सामने आने के बाद पास के जिले वायनाड में एक 24 घंटे का नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। निपाह वायरस क्या है? निपाह वायरस एक ऐसा संक्रमण है जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। इसका प्राकृतिक मेजबान फ्रूट बैट (एक प्रकार का चमगादड़) है। इस वायरस का पता पहली बार 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में लगा था जब सुअर पालकों के बीच यह वायरस फैल गया था। इस संक्रमण का नाम भी मलेशिया के सुंगाई निपाह गांव के नाम पर रखा गया है जहां के सुअर पालक सर्व प्रथम इससे पीड़ित हुए थे और इसके प्रकोप को रोकने के लिए दस लाख सूअरों को मार डाला गया था। सिंगापुर और मलेशिया के बाद साल 2004 में बांग्लादेश में संक्रमित फ्रूट बैट द्वारा दूषित खजूर के रस का सेवन करने से यह वायरस मनुष्यों में संक्रमित हो गया और इसके साथ साथ यहां इस संक्रमण का मानव-से-मानव संचरण दर्ज किया गया। इसके लक्षण क्या हैं? मनुष्यों में इस वायरस के संकेत अलग अलग हैं और इसमें बिना किसी लक्षण के संकेतों के साथ तीव्र श्वसन सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। इस वायरस के संपर्क में आने के बाद पीड़ित व्यक्ति को 3 से 14 दिनों तक बुखार और सिर दर्द हो सकता है और इसकी इन्क्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक हो सकती है, इसके बाद अक्सर पीड़ित को उंघाई, भटकाव और मानसिक भ्रम होता है लेकिन सबसे अधिक गंभीर मामलों में ये लक्षण 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में परिवर्तित हो सकता है। यह कैसे फैल सकता है? आम तौर पर मनुष्यों में निपाह का संचरण कई प्रकार से हो सकता है, सबसे पहले सीधा संपर्क जिसमें कोई इंसान पीड़ित इंसान के संपर्क में आ जाता है वही अगर मनुष्य संक्रमित चमगादड़ और सूअरों के सीधे संपर्क में आए तो वह वायरस के सम्पर्क में आ सकता है। अगर कोई फल जो संक्रमित चमगादड़ों और पक्षियों द्वारा खाया गया हो और उसका सेवन मनुष्य द्वारा किया जाए तो इससे संक्रमण फैल सकता है। इसे रोकने के क्या उपाय हैं? अभी तक किसी भी देश के पास न तो मनुष्यों के लिए न ही जानवरों के लिए इसका कोई उपचार उपलब्ध है। इससे बचने का सबसे आसान उपाय है कि कोई भी व्यक्ति बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में न आए और उनसे बचकर रहे। अगर आपके आस पास चमगादड़ हों तो किसी भी कटे और कुतरे हुए फल के सेवन से बचना चाहिए। अगर इस पकार की सावधानी अपनाई जाए तो निपाह वायरस संक्रमण के संकट से बचा जा सकता है।
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भारत के केरल में फैला निपाह वायरस क्या है?
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मीडिया को बताया कि जो लोग पीड़ितों के संपर्क में आए थे उन सभी 76 लोगों की स्वस्थ्य स्थिति स्थिर बनी हुई है।
भारत के दक्षिणी राज्य केरल में निपाह वायरस फैलने के संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को कोझिकोड में बंद कर दिया है, सोशल मीडिया के जरिए कोझिकोड की जिलाधिकारी ने छुट्टियों की घोषणा की।
अभी तक
केरल में पाँच लोग इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, हाल ही में सबसे ताजा मामला बुधवार को आया जब एक 24 वर्षीय स्वास्थ्य कर्मी इस वायरस से ग्रसित पाया गया।
स्थानीय मीडिया ने सरकार के हवाले से कहा कि जिन 13 अन्य लोगों में हल्के लक्षण हैं, उनकी अब अस्पताल में निगरानी की जा रही है इसके अतिरिक्त मात्र 9 साल का एक बच्चा गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में है। बच्चे के उपचार के लिए आईसीएमआर से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का ऑर्डर दिया गया है। यह निपाह वायरस संक्रमण के लिए एकमात्र उपलब्ध एंटी-वायरल उपचार है, हालांकि यह अभी तक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध नहीं हुआ है।
केरल के कोझिकोड में निपाह के मामले सामने आने के बाद पास के जिले वायनाड में एक 24 घंटे का नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।
निपाह वायरस एक ऐसा संक्रमण है जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। इसका प्राकृतिक मेजबान
फ्रूट बैट (एक प्रकार का चमगादड़) है। इस वायरस का पता पहली बार 1999 में
मलेशिया और सिंगापुर में लगा था जब सुअर पालकों के बीच यह वायरस फैल गया था। इस संक्रमण का नाम भी
मलेशिया के सुंगाई निपाह गांव के नाम पर रखा गया है जहां के सुअर पालक सर्व प्रथम इससे पीड़ित हुए थे और इसके प्रकोप को रोकने के लिए दस लाख सूअरों को मार डाला गया था।
सिंगापुर और मलेशिया के बाद साल 2004 में
बांग्लादेश में संक्रमित फ्रूट बैट द्वारा दूषित खजूर के रस का सेवन करने से यह वायरस मनुष्यों में संक्रमित हो गया और इसके साथ साथ यहां इस संक्रमण का मानव-से-मानव संचरण दर्ज किया गया।
मनुष्यों में इस वायरस के संकेत अलग अलग हैं और इसमें बिना किसी लक्षण के संकेतों के साथ तीव्र श्वसन सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
इस वायरस के संपर्क में आने के बाद पीड़ित व्यक्ति को 3 से 14 दिनों तक बुखार और सिर दर्द हो सकता है और इसकी इन्क्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक हो सकती है, इसके बाद अक्सर पीड़ित को उंघाई, भटकाव और मानसिक भ्रम होता है लेकिन सबसे अधिक गंभीर मामलों में ये लक्षण 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में परिवर्तित हो सकता है।
आम तौर पर मनुष्यों में निपाह का संचरण कई प्रकार से हो सकता है, सबसे पहले सीधा संपर्क जिसमें कोई इंसान पीड़ित इंसान के संपर्क में आ जाता है वही अगर मनुष्य संक्रमित चमगादड़ और सूअरों के सीधे संपर्क में आए तो वह वायरस के सम्पर्क में आ सकता है। अगर कोई फल जो संक्रमित चमगादड़ों और पक्षियों द्वारा खाया गया हो और उसका सेवन मनुष्य द्वारा किया जाए तो इससे संक्रमण फैल सकता है।
इसे रोकने के क्या उपाय हैं?
अभी तक किसी भी देश के पास न तो मनुष्यों के लिए न ही जानवरों के लिए इसका कोई उपचार उपलब्ध है। इससे बचने का सबसे आसान उपाय है कि कोई भी व्यक्ति बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में न आए और उनसे बचकर रहे। अगर आपके आस पास चमगादड़ हों तो किसी भी कटे और कुतरे हुए फल के सेवन से बचना चाहिए।
अगर इस पकार की सावधानी अपनाई जाए तो निपाह वायरस संक्रमण के संकट से बचा जा सकता है।