वर्तमान में पाकिस्तान एक पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है, जो न केवल अपने लोगों की भलाई के लिए संकट उत्पन्न करता है, अपितु इससे पृथ्वी की ओजोन की परत को क्षति भी पहुंचती है। धुंध और प्रदूषण वायुमंडल पर कहर बरपा रहे हैं और ग्रह को हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से बचाने के प्रयासों को विफल कर रहे हैं।
स्मॉग महामारी: एक मंडराता संकट
पाकिस्तान के शहर, विशेषतः लाहौर, फैसलाबाद और कराची, धुंध के खतरनाक स्तर के लिए बदनाम हो गए हैं। जब वाहन उत्सर्जन, उद्योग गतिविधियों और कृषि फसल जलाने जैसे विभिन्न स्रोतों से प्रदूषक विशिष्ट मौसम का सामना करते है, तो धुएं और कोहरे का एक विषाक्त संयोजन बनता है। यह घातक मिश्रण पृथ्वी की सतह के पास फंस जाता है, जिससे हमारे पर्यावरण के लिए गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है।
Crop burning in Punjab, Pakistan
© Aneela Rashid
लाहौर निवासी मेहविश अली ने Sputnik India को बताया, ''पंजाब प्रांत में स्मॉग का मौसम अक्टूबर में आरंभ होता है और फ़रवरी तक बना रहता है।''
अली ने कहा, "दोपहर में आसमान भूरा पीला हो जाता है और सड़कों पर दृश्यता कम हो जाती है। कई लाहौरी आंखों में खुजली, सिरदर्द और नाक बहने की शिकायत करने लगते हैं। बच्चों को सूखी खांसी होने लगती है और जब वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है तो अक्सर स्कूल एक सप्ताह के लिए बंद कर दिए जाते हैं। कई नागरिक एयर प्यूरीफायर खरीदते हैं और उन्हें दिन-रात प्रयोग करते हैं।"
ओजोन परत का गुप्त शत्रु
Sputnik India से बात करते हुए पर्यावरणविद्, 'अर्बन प्रोजेक्ट्स' के प्रमुख अरसलान खालिद ने कहा, "बहुत से लोगों को यह अनुभूति नहीं है कि पाकिस्तान के शहरों को घेरने वाला धुआं और प्रदूषण ओजोन परत के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकट है।"
पृथ्वी के समताप मंडल में स्थित ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों के खिलाफ ढाल के रूप में कार्य करती है। यह सुरक्षात्मक परत पृथ्वी पर सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है, क्योंकि अधिक यूवी विकिरण से त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
वैश्विक परिणाम
बिगड़ती ओजोन परत के निहितार्थ केवल पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं हैं। ओजोन परत की कमी से पृथ्वी की सतह तक पहुंचने वाले यूवी विकिरण का स्तर बढ़ सकता है।
पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान विकिरण के कारण होने वाला एक और गंभीर परिणाम है। यह हानिकारक विकिरण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र, स्थलीय वनस्पति और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे जैव विविधता संकट में पड़ सकती है और नाजुक खाद्य श्रृंखलाएं बाधित हो सकती हैं।
खालिद ने कहा, "बढ़ी हुई यूवी विकिरण फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है और कृषि उपज को कम कर सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा चुनौतियां बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, समतापमंडलीय ओजोन में परिवर्तन जलवायु को प्रभावित कर सकता है, जो मौसम के पैटर्न और जलवायु प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है।"
Pakistan's Smog Crisis
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ज्ञात हो, 1987 में हुए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल समझौते के बाद पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओजोन परत धीरे-धीरे बहाल हो रही है। इस समझौते ने क्लोरोफ्लोरोकार्बन-11 (सीएफसी-11) नामक रसायनों के एक वर्ग पर प्रतिबंध लगा दिया, जो आमतौर पर रेफ्रिजरेंट और एरोसोल में उपयोग किया जाता है। इस ओजोन उपचार को मानवता की सबसे बड़ी पर्यावरणीय जीतों में से एक माना गया है।
इस बीच, पाकिस्तान, भारत और चीन जैसे देशों को प्रदूषण और धुंध को कम करने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए ताकि ओजोन परत सामान्य हो सके।
कार्रवाई के लिए आह्वान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्मॉग संकट को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए पाकिस्तान को बड़े स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में बदलाव करना चाहिए, साथ ही अपने कई उद्योगों और लाखों वाहनों के लिए कड़े उत्सर्जन मानकों को लागू करना चाहिए।
पंजाब सरकार ने पहले ही मेट्रो बस, ऑरेंज लाइन ट्रेन और स्पीडो बस जैसी सार्वजनिक परिवहन परियोजनाएं शुरू करके कुछ सहायक कदम उठाए हैं। पिछली पीटीआई सरकार के स्मॉग विरोधी अभियान में भी पुनर्वनीकरण एक सर्वोच्च प्राथमिकता थी। फसल जलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो पंजाब प्रांत में एक आम बात है और अपराधियों पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
केवल ठोस प्रयासों के माध्यम से ही पाकिस्तान आसमान साफ करने, अपने लोगों की रक्षा करने और हमारी नाजुक ढाल यानी ओजोन परत के संरक्षण कर सकता है।
Pakistan's Smog Crisis
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