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वायु प्रदूषण से दक्षिण एशिया में जीवन प्रत्याशा कम होती है: रिपोर्ट

© AP Photo / Altaf QadriBirds fly in the foreground of rising sun as morning haze envelops the skyline in New Delhi, India, Tuesday, Oct. 25, 2022.
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बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण दक्षिण एशिया में लोगों की जीवन प्रत्याशा औसतन पांच साल से अधिक कम हो सकती है। औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि वायु की गुणवत्ता में गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं।
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान ने अपने एक अध्ययन में यह बात कही है।

शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ग्रीनस्टोन माइकल ने जानकारी दी, "वैश्विक जीवन प्रत्याशा पर प्रभाव में तीन-चौथाई योगदान सिर्फ छह देशों का है – बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया, जहां लोग जिस हवा में सांस लेते हैं, उसके कारण वे अपने जीवन के एक-छह साल खो देते हैं।"

रिपोर्ट के अनुसार सूक्ष्म कण वायु प्रदूषकों के कारण दुनिया के सबसे प्रदूषित देश बांग्लादेश के निवासियों की औसत आयु 6.8 वर्ष घट सकती है। इसके अलावा भारत के कई इकालों में जीवन प्रत्याशा देश के औसत आंकड़ों से काफी नीचे है। इस तरह, दुनिया का सबसे प्रदूषित महानगर नई दिल्ली में औसत जीवन प्रत्याशा 11.9 वर्ष कम हो गई है।
अमेरिका में 1970 के बाद कणीय वायु प्रदूषण में 64.9 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे अमेरिका की औसत जीवन प्रत्याशा 1.4 वर्ष बढ़ गई है। कुछ यूरोपीय देशों में औसत जीवन प्रत्याशा में 4.5 महीने की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, दक्षिण एशिया में सदी की शुरुआत की तुलना में वायु प्रदूषण अब 50% बढ़ गया है। औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि वायु की गुणवत्ता में गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं। वायु प्रदूषण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए मुख्य खतरा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया की लगभग 92 प्रतिशत जनसंख्या उन इलाकों में रहती है जहां वायु प्रदूषण न्यूनतम सुरक्षा मानकों से अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में सालाना 4.2 मिलियन लोग असामयिक मौतों के शिकार हो रहे हैं। इनमें से लगभग 91% मामले विकासशील, विशेषतः दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र, के देशों में होते हैं।
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