मंगलवार को पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार ने अफगान नागरिकों सहित हजारों गैर-दस्तावेज वाले प्रवासियों के लिए देश छोड़ने की समय सीमा 1 नवंबर निर्धारित की है, सरकार ने अवैध प्रवासियों को ऐसा नहीं करने पर कारावास और निर्वासन का जोखिम उठाने की चेतावनी दी है।
दरअसल पाकिस्तान की सरकार ने आतंकवाद और तस्करी में सम्मिलित लोगों के विरुद्ध अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान का निर्णय "अस्वीकार्य" है।
"पाकिस्तानी पक्ष को अपनी योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। अफगान शरणार्थी पाकिस्तान की सुरक्षा समस्याओं में सम्मिलित नहीं हैं। जब तक वे स्वेच्छा से पाकिस्तान नहीं छोड़ देते हैं, उस देश को उन्हें सहन करना चाहिए," तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा।
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय की साप्ताहिक ब्रीफिंग में एक सवाल का उत्तर देते हुए, प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने कहा कि चल रही कार्रवाई में उन लोगों को देश से बाहर किया जाएगा जो अपने वीजा अवधि समाप्त होने के उपरांत भी पाकिस्तान में रह गए हैं या उनके पास देश में रहने के लिए "वैध" दस्तावेज नहीं हैं।
हालांकि वर्तमान अभियान का उन 14 लाख अफगान शरणार्थियों से कोई लेना-देना नहीं है, जिन्हें पाकिस्तान अपनी सीमित आर्थिक स्थिति के बावजूद दशकों से शरण दे रहा है।"
पाकिस्तान के अंतरिम आंतरिक मंत्री सरफराज बुगती ने मंगलवार को कहा कि देश में वर्तमान में 1.73 मिलियन अपंजीकृत अवैध अफ़गान रहते हैं। जनवरी के बाद से पाकिस्तान में 24 में से 14 आत्मघाती आक्रमण अफगान नागरिकों द्वारा किए गए।
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सितंबर की शुरुआत से अब तक मात्र कराची में 700 से अधिक अफगानियों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य शहरों में सैकड़ों से अधिक अफगानों को गिरफ्तार किया गया है।
*संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के अंतर्गत