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अदालत ने निठारी हत्याकांड के मुख्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में किया बरी

निठारी हत्याकांड में सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को "सबूतों की कमी" का हवाला देते हुए बरी कर दिया।
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भारत के सबसे चर्चित अपराधों में से एक है निठारी हत्याकांड, जिसके खुलासे ने भारत सहित दुनिया भर के देशों को हिला कर रख दिया था। इस हत्याकांड के दोनों मुख्य आरोपियों को बलात्कार और हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई थी।
इस फैसले के बाद दोनों आरोपियों की मौत की सजा रद्द हो गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में 12 मामलों में मुख्य संदिग्ध सुरिंदर कोली को बरी कर दिया और वहीं मामलें में दूसरे आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने उन दो मामलों में बरी कर दिया है, जिनमें उसे ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, उनके खिलाफ कुल छह मामले थे।

क्या है निठारी हत्याकांड?

भारत की राजधानी दिल्ली के पास स्थित नोएडा के निठारी नामक गाँव में एक नाले के पास दिसम्बर 2006 में आठ बच्चों के कंकाल मिले थे, जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ, पुलिस ने इस मामलें में मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेन्द्र कोहली को गिरफतार किया।
पुलिस को पंढेर के घर के पास के नाले से कंकाल मिले थे जिसके बाद उन्होंने आगे की खुदाई जारी रखी। खुदाई में आगे उन्हे बच्चों के कई और अवशेष मिले जो अधिकतर आसपास के क्षेत्रों के बच्चों और युवा महिलाओं से मिलते थे। निठारी में की गई हत्याएं 2005 से 2006 के बीच में की गई थीं।
केस के खुलासे के बाद 10 दिन बाद इस मामले को भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI के हवाले कर दिया गया, हिरासत में नौकर कोली ने अपराध कबूल करते हुए बताया कथित तौर पर, उसने मृत पीड़ितों के साथ बलात्कार करने और उनके शरीर के अंगों को खाने की बात भी कबूल की थी।
2007 में, दोनों आरोपियों पंढेर और कोली के खिलाफ हत्या, अपहरण और बलात्कार के अलावा सबूत नष्ट करने के कुल 19 मामले दर्ज किए गए हालाँकि, सबूतों की कमी के कारण CBI ने 19 में से तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी।
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