RDE को अटारी (पाकिस्तान सीमा), पेट्रापोल, अगरतला, डावकी और सुतारकांडी (बांग्लादेश सीमा), रक्सौल और जोगबनी (नेपाल) और मोरेह (म्यांमार) के एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) और भूमि बंदरगाहों पर स्थापित किया जाएगा।
दरअसल केंद्र सरकार ने RDE स्थापित करने की पहल की है ताकि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार रेडियोधर्मी सामग्रियों की तस्करी पर रोक लगाई जा सके। आठ ICP को बड़ी संख्या में लोगों और सामानों की सीमा पार आवाजाही के लिए जाना जाता है।
अधिकारियों के मुताबिक, रेडियोधर्मी सामग्री की कोई भी तस्करी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती हो सकती है क्योंकि इसका इस्तेमाल परमाणु उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है।
"RDE अलग-अलग गामा और न्यूट्रॉन विकिरण का पता लगाने और संदिग्ध वस्तुओं के वीडियो फ्रेम तैयार करने में सक्षम है," अधिकारी ने कहा।
साथ ही इसमें विशेष परमाणु सामग्री और उर्वरक या सिरेमिक में प्राकृतिक रूप से होने वाले विकिरण के साथ-साथ उच्च-ऊर्जा गामा आइसोटोप के बीच अंतर करने की क्षमता भी होगी जो पुनर्नवीनीकरण यूरेनियम का एक गुण है।