चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रविवार को वियतनाम पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वियतनाम की डिप्लोमैटिक अकादमी में "इंडो-पैसिफिक में भारत" विषय पर अपने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की।
"चर्चा की गई कि इंडो-पैसिफिक निर्माण में सहयोग करना हमारे साझा हितों में क्यों है। बताया गया कि कैसे भारत और वियतनाम अपनी स्वतंत्र मानसिकता के साथ बहुध्रुवीय और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं," जयशंकर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा।
इससे पहले, जयशंकर ने अपने वियतनामी समकक्ष बुई थान सोन से मुलाकात की थी और भारत-प्रशांत पर दृष्टिकोण साझा करने के साथ-साथ व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की थी।
दरअसल इंडो-पैसिफिक एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर सहित पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर शामिल हैं।
बता दें कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है, और भारत, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।
आसियान के 10 सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं।