किर्गिज़स्तान के बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ''आज जब विश्व चुनौतियों का सामना कर रहा है, बढ़ती आर्थिक मंदी, टूटी हुई आपूर्ति श्रृंखला, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा का सामना कर रही है तो एससीओ के घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है।"
"भारत स्थायी, पारस्परिक रूप से लाभप्रद और वित्तीय रूप से व्यवहार्य समाधान के लिए सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने का इच्छुक है," जयशंकर ने कहा।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा “जैसा कि हम क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार करने का प्रयास करते हैं, हमें प्रबल संबंध और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। भारत ने अपनी विकासात्मक यात्रा में इन डोमेनों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, साथ ही कनेक्टिविटी पहल को सदैव सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए।”
"मुझे विश्वास है कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक बन सकते हैं," जयशंकर ने कहा।
साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि “वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की सकल घरेलू अनुपात (GDP) वृद्धि का अनुमान 6.3 प्रतिशत है… एससीओ सदस्यों में से मुख्यतः रूस के साथ हमारे कुल व्यापार में भारी वृद्धि देखी गई है।"
ज्ञात है कि जयशंकर बुधवार को बिश्केक पहुंचे और इसके तुरंत बाद उन्होंने किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति सदिर झापारोव से भेंटवार्ता कर बैंकिंग, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की।
बता दें कि किर्गिज़स्तान समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शासनाध्यक्षों की परिषद (CHG) की बैठक की मेजबानी कर रहा है।