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भारत को दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी दखल का समर्थन नहीं करना चाहिए, पूर्व पीएम सलाहकार ने कहा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कैलिफोर्निया शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा कि वाशिंगटन दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक दृढ़ प्रतिबद्धता रखता है।
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी ने नई दिल्ली को दक्षिण चीन सागर में चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से जुड़े समुद्री विवाद में अमेरिकी हस्तक्षेप को बढ़ावा देने के विरुद्ध आगाह किया है।

Sputnik India के साथ साक्षात्कार में सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, “भारत को दक्षिण चीन सागर विवाद से स्वयं को अधिक परेशान नहीं करना चाहिए और न ही चीन को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका की ओर से होना चाहिए। हमें व्यावहारिक होना चाहिए, यह जानने में बुद्धिमान होना चाहिए कि हमारे राष्ट्रीय हित क्या हैं।”

भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच अप्रैल-मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध चल रहा है। नई दिल्ली ने बीजिंग से कहा है कि इस विवाद से दो बड़ी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के मध्य द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हुए हैं।
सुधींद्र कुलकर्णी ने भारत को चीन के विरुद्ध वाशिंगटन के साथ गठबंधन न करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन नई दिल्ली को ‘चीन को नियंत्रित करने’ के लिए दोनों देशों की स्थिति को संरेखित करने के प्रस्ताव भेज रहा था।
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि अमेरिका का 'कैंप-फ़लवार' होना भारत के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

उन्होंने रेखांकित किया, “भारत को चीन और अमेरिका दोनों के प्रति मित्रतापूर्ण व्यवहार करना चाहिए, चीन के प्रति अधिक मित्रवत होना चाहिए क्योंकि यह हमारा पड़ोसी है और ग्लोबल साउथ का हिस्सा है। भारत को स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करना चाहिए, जो ग्लोबल साउथ के सशक्तिकरण और विकास पर आधारित हो।”

पूर्व सलाहकार ने आशा व्यक्त की कि भारत, चीन और रूस जैसे देश मिलकर नई, बेहतर, निष्पक्ष, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण विश्व व्यवस्था बनाएंगे, जो किसी भी देश के आधिपत्य से स्वतंत्र हो।
उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई जब शी जिनपिंग और जो बाइडन ने दोनों देशों के मध्य मतभेदों को दूर करने के लिए सैन फ्रांसिस्को में एक भेंटवार्ता की।
व्हाइट हाउस की बैठक के विवरण के अनुसार, जो बाइडन ने दक्षिण कोरिया, जापान, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया सहित अपने इंडो-पैसिफिक सहयोगियों की रक्षा के लिए अमेरिका की "लौह-बद्ध प्रतिबद्धता"’ की पुष्टि की।
चीन लगातार दक्षिण चीन सागर और एशिया में अमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध करता रहा है।

चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बाइडन ने गुरुवार को शी से कहा कि अमेरिका ‘चीन के विरुद्ध अपने गठबंधनों को पुनर्जीवित’ नहीं करना चाहता है।

सीमा विवाद सुलझाने के लिए मोदी-शी को सीधी बातचीत करनी चाहिए

सुधींद्र कुलकर्णी ने भारतीय प्रधानमंत्री से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पश्चिमी खंड में लंबित सीमा मतभेदों को हल करने के लिए चीनी राष्ट्रपति के साथ सीधी बातचीत करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “मोदी और शी के मध्य शीघ्र बैठक से निश्चित रूप से सीमा विवाद के समाधान में तेजी आएगी।”

उन्होंने प्रश्न किया, “अगर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ मिल सकते हैं, एक साथ बात कर सकते हैं और एक साथ चल सकते हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ऐसा क्यों नहीं कर सकते?”

उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन संबंध वर्तमान चीन-भारत संबंधों की तुलना में उतने ही तनावपूर्ण या संभवतः अधिक तनावपूर्ण हैं।

सुधींद्र कुलकर्णी ने अपनी बात पूर्णतः समाप्त करते हुए कहा, “दोनों नेता मिले और काफी स्पष्ट और कुछ हद तक रचनात्मक बातचीत हुई। इससे अमेरिका-चीन संबंधों को स्थिर करने में सहायता मिली है। मुझे विश्वास है कि मोदी और शी के मध्य शीघ्र बैठक से भारत-चीन संबंधों में बहुत आवश्यक सफलता मिलेगी जिससे हमारे देशों को गतिरोध समाप्त करने और पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग में आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी।”

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