शोधकर्ताओं ने ऐसे ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं कि गर्भावस्था के अंतिम तिमाही के दौरान माताओं और उनके पेट में पल रहे बच्चों के बीच नियमित बातचीत से शिशुओं की भाषा सीखने की क्षमताओं में अत्यंत वृद्धि हो सकती है।
'साइंस एडवांसेज' नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि भ्रूण जन्म से पहले अंतिम सप्ताहों के दौरान सक्रिय रूप से सुनते और सीखते हैं। यह अध्ययन भारत के महाकाव्य महाभारत के वैज्ञानिक आधार का समर्थन करता है।
मस्तिष्क की गतिविधि को मापने के लिए शिशुओं के सिर पर दस सेंसर वाले इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) कैप लगाए गए।
शोध में कहा गया है, "परिणामों से ज्ञात हुआ है कि जब बच्चे अपनी मूल भाषा सुनते हैं तो भाषा प्रसंस्करण से जुड़े तंत्रिका दोलनों में वृद्धि होती है, जो जन्मपूर्व भाषा के प्रदर्शन के गहरे प्रभाव को दर्शाता है।"
शोध से पता चलता है कि जब बच्चे भाषा सुनते हैं, तो उनके मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।