भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को भारत के आधिकारिक दौरे पर आए सेशेल्स गणराज्य के विदेश मामलों और पर्यटन मंत्री लुईस सिल्वेस्ट्रे राडेगोंडे से भेंटवार्ता की। एस जयशंकर ने विश्वास व्यक्त किया कि यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों को प्रबल करेगी।
भारतीय राजनयिक ने कहा कि भेंट करते समय भारत और सेशेल्स के मध्य लघु विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन और युवा एवं खेल क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ।
विकास सहायता
भारत सेशेल्स के लिए कई विकास सहायता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिनकी द्विपक्षीय रिश्तों में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। ये कार्यक्रम भारत-सेशेल्स के मध्य सहयोग की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के हिस्से के रूप में आयोजित किए जा रहे हैं, जो विदेश मंत्रालय, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा आयोजित किया जाता है जो कि क्षमता निर्माण का एक महत्वपूर्ण मंच है।
2012 में भारत ने सेशेल्स को बतौर ऋण 50 मिलियन डॉलर और अनुदान के रूप में 25 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की थी। 2013 में भारत ने सेशेल्स को निगरानी और समुद्री डकैती विरोधी मिशनों के लिए एक डोर्नियर-228 (समुद्री गश्ती विमान) उपहार में दिया था।
इसके अतिरिक्त, एयर सेशेल्स ने 2014 में हस्ताक्षरित एक समझौते के अंतर्गत व्यापार और पर्यटन अंतर-संपर्कों को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर 2014 में माहे और मुंबई के मध्य सीधी उड़ानों का संचालन शुरू किया था।
इतना ही नहीं, 2018 में भारत ने सेशेल्स को 100 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन और एक और डोर्नियर विमान दिया था। सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे की भारत यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जो श्वेत शिपिंग, साइबर सुरक्षा, पणजी-विक्टोरिया सेशेल्स ट्विनिंग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधित थे।
असम्पशन द्वीप परियोजना
2015 में सेशेल्स ने भारत के साथ अपने असम्पशन द्वीप पर नौसेना अड्डा विकसित करने के लिये एक परियोजना पर मिलकर काम करने पर सहमत हुए थे।
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना का उद्देश्य सेशेल्स के लिए उस विशाल विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) को सुरक्षित करना है, जो मोज़ाम्बिक चैनल के पास माहे के मुख्य द्वीप से हजार किलोमीटर दूर स्थित है।
सेशेल्स समझौते पर हस्ताक्षर राष्ट्रपति जेम्स मिशेल के कार्यकाल में किए गए थे जब सत्तारूढ़ दल के पास विधायिका में बहुमत था। हालांकि इसे अनुसमर्थन के लिए नेशनल असेंबली में कभी प्रस्तुत नहीं किया गया था। समझौते की शर्तों को लेकर विपक्ष और सेशेलो नागरिक समाज ने चिंता व्यक्त की थी क्योंकि इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था।
2018 में इस समझौते को नए तरीके से कुछ परिवर्तनों के साथ किया गया था जिसका उद्देश्य उस द्वीप के स्वामित्व और उपयोग के बारे में राजनीतिक चिंताओं को दूर करना था जिसे भारत सेशेल्स के क्षेत्र में विकसित करेगा।
रक्षा सहयोग
महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती और अन्य आर्थिक अपराधों के बढ़ते संकट के उत्तर में भारत और सेशेल्स के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग की जटिल रूपरेखा समय के साथ साथ मजबूत हुई है।
2001 से भारत और सेशेल्स अपने सशस्त्र बलों के मध्य सैन्य सहयोग और अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं जिसे "लामितिये" के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ एक क्रियोल भाषा में दोस्ती है। संयुक्त राष्ट्र के नियमानुसार इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य शहरी वातावरण में संयुक्त आतंकवाद और उपद्रव विरोधी अभियान चलाने के लिए सुविधाएं तैयार करना है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार सेशेल्स भारत की 'सागर' (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) पहल का अभिन्न हिस्सा है।
यह पहल हिंद महासागर क्षेत्र में एक सुरक्षित क्षेत्रीय ढांचा बनाने के लिए भारत के उद्देश्यों को दर्शाता है जिनमें "शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना, समुद्री पड़ोसियों की क्षमताओं को मजबूत करना और मुख्य भूमि और द्वीपों को सुरक्षित करना" सम्मिलित है।