विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

रूस परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण कर कैसे श्रीलंका को ऊर्जा समाधान में मदद कर सकता है

रूस के संगठनों द्वारा परमाणु ऊर्जा में निवेश के प्रस्ताव के मद्देनजर श्रीलंका परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण (SLAEA) ने परमाणु ऊर्जा के लिए हरी झंडी दे दी है, एक अधिकारी ने कहा।
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रूस, जो पहले से ही बांग्लादेश और भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निवेश कर चुका है, ने श्रीलंका में एक संयंत्र लगाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।

दरअसल, रूस का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, जो हाल ही में श्रीलंका में था, ने श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्रस्तावित सहयोग पर चर्चा की।
इस बीच श्रीलंका परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रोफेसर एस.आर.डी. रोजा ने मीडिया को बताया कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को श्रीलंका में एक अपतटीय या तटवर्ती परमाणु ऊर्जा संयंत्र के विकास के रूसी प्रस्ताव के संबंध में वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी।

"उनके कार्यालय ने मूल रूप से श्रीलंका के ऊर्जा मिश्रण को बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा के लिए अपनी मंजूरी दे दी थी, और इसे मंजूरी के लिए विदेश मंत्रालय को भेजा गया था," रोजा ने कहा।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि “हम इस परियोजना को तभी लागू कर सकते हैं जब श्रीलंका और रूस के बीच अंतर सरकारी समझौते (IGA) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। वह अब लंबित है।"
रूस ने क्षमता निर्माण और क्षेत्र में श्रीलंकाई लोगों को प्रशिक्षण देने के मामले में सहायता की पेशकश की है। प्रस्ताव के अनुसार नीतिगत निर्णय लेने की स्थिति में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) जो उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं, स्थापित किए जाने हैं।
बता दें कि वर्तमान में द्वीप राष्ट्र तेल, कोयला और हाइड्रोकार्बन का आयात कर रहा है, हालाँकि, आर्थिक तनाव को कम करने के लिए देश का लक्ष्य साल 2030 तक अपनी 70% बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित करना है।
गौरतलब है कि अक्टूबर में पश्चिम अफ्रीका के एक देश बुर्किना फासो और रूसी राज्य परमाणु कंपनी रोसाटॉम ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
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