वायु सेना प्रमुख मानेकशॉ सेंटर में आयोजित 20वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में भारत और ग्लोबल साउथ पर बोल रहे थे।
"अंतरराष्ट्रीय संबंधों का परिदृश्य लगातार परिवर्तित हो रहा है और पारंपरिक शक्ति संरचनाओं को नए भागीदारों द्वारा चुनौती दी जा रही है। वैचारिक विभाजन, संसाधनों की कमी और जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक संघर्ष का संकट मंडरा रहा है, जिसने आर्थिक असमानता और संसाधन शोषण जैसी परस्पर जुड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं," वायु सेना प्रमुख ने कहा।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि "कोविड-19 जैसी ब्लैक स्वान घटनाओं और विश्व भर में हम जो संघर्ष देख रहे हैं, उसने स्थिति को गंभीर बना दिया है। इन सबके बावजूद हम ग्लोबल साउथ के देशों में लचीलापन और निरंतर आर्थिक विकास देख रहे हैं।"
"भारतीय वायु सेना आसानी से प्रगति के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है, रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा दे सकता है और ग्लोबल साउथ की सामूहिक उन्नति में योगदान दे सकता है," चौधरी ने कहा।
वायु सेना प्रमुख ने आगे कहा कि भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमता ने पहले ही साझेदारी और निर्यात के दरवाजे खोल दिए हैं।