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ईरान ने पाकिस्तान को कई बार आतंकवादी समूहों को लेकर चेतावनी जारी की: विशेषज्ञ

ईरान ने एक दिन से भी कम समय में अपने तीन पड़ोसी देशों पर मिसाइल हमलों को अंजाम दिया, सोमवार को सीरिया और इराकी कुर्दिस्तान में कई स्थानों पर हमला करने के बाद ईरान ने मिसाइलों और ड्रोनों से मंगलवार रात को पाकिस्तान के एक इलाके को निशाना बनाया।
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ईरान ने बयान जारी कर बताया कि उसने पाकिस्तान में मिसाइल हमला कर वहां सुन्नी आतंकवादी समूह जैश अल-अदल के गढ़ को नष्ट कर दिया है। वहीं इसके जवाब में पाकिस्तान ने इस हमले को अवैध और पूरी तरह से अस्वीकार्य बताते हुए गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।

पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान द्वारा किये गए इस हमले में दो बच्चों की मौत हो गई है।

"ऐसे एकतरफा कृत्य अच्छे पड़ोसी संबंधों के अनुरूप नहीं हैं और द्विपक्षीय विश्वास और भरोसे को गंभीर रूप से कमजोर कर सकते हैं। इस कार्रवाई के परिणामों की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से ईरान की होगी," पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हमलों के तुरंत बाद एक बयान में कहा।

ईरान और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध हैं, हालांकि दोनों के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में समय-समय पर झड़पें देखी गई हैं। इन झड़पों में मुख्य रूप से जैश अल-अदल जैसे समूह शामिल होते हैं, और जो कई ईरानी सीमा गश्ती दल पर हमलों और उनकी हत्या की जिम्मेदारी भी लेते हैं।

जैश अल-अदल ने दिसंबर में एक ईरानी पुलिस स्टेशन को निशाना बनाकर 11 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी थी। 2012 में गठित इस समूह को सुरक्षाकर्मियों, सरकारी अधिकारियों पर हमला करने और आत्मघाती बम विस्फोट करने के लिए अमेरिका द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में भी नामित किया गया है।
हाल के दिनों में ईरान द्वारा किये गए हमले और इलाके में चल रहे संघर्षों के बारे में Sputnik भारत ने भारत के वरिष्ठ पत्रकार और मध्य पूर्व के जानकार कमर आग़ा से पुछा कि क्या बलूचिस्तान में IRGC के हमले से ईरान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की उम्मीद करनी चाहिए? तब उन्होंने बताया कि ईरान के हमलों के बाद पाकिस्तान किसी भी तरह के युद्ध से बचना चाहेगा, क्योंकि पाकिस्तान के हालत कुछ अच्छे नहीं है, इसके अलावा पाकिस्तान और ईरान के बीच द्विपक्षीय संबंध भी हैं।

"दोनों देश स्थिति को सुलझा लेंगे, क्योंकि पाकिस्तान अपनी वित्तीय स्थिति के कारण ईरान से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है और पाकिस्तान का मुख्य ध्यान कश्मीर पर है और वे ईरान के साथ कोई नया मोर्चा नहीं खोलना चाहेगा। इसके साथ वे ईरान पर बिजली सहित तेल, गैस जैसी आपूर्ति के लिए निर्भर है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी ईरान ने उन्हें उग्रवादी गतिविधि के बारे में चेतावनी दी थी और एक बात और कि ईरानियों में उग्रवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता है," कमर आग़ा ने कहा।

ईरान ने पाकिस्तान को हमले के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन इस्लामाबाद इससे इनकार कर रहा है। इस पर जब आग़ा से पूछा गया तब उन्होंने बताया कि ईरान ने पाकिस्तान को कई चेतावनियाँ जारी कीं, पिछली बार भी यही आतंकवादी समूह जिम्मेदार था जब उन्होंने कई ईरानियों का अपहरण कर लिया था। यह समस्या बलूचिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान-ईरान सीमा के साथ-साथ दोनों तरफ बनी हुई है। पश्चिम एशिया या पश्चिमी खाड़ी क्षेत्र में ईरान का मुख्य फोकस शांति और स्थिरता है।

"खाड़ी क्षेत्र में और ईरान को अमेरिका और अन्य लोगों से खतरा महसूस हुआ है, कुछ दिन पहले जनरल कासिम सुलेमानी (जो बगदाद में अमेरिकियों द्वारा मारे गए थे) की बरसी पर हुए बम विस्फोट में 100 लोग मारे गए और कई गंभीर रूप से घायल हो गए, और इसके जवाब में उन्होंने उत्तरी इराक में इज़राइल के मोसाद कार्यालय पर भी हमला किया। ईरान का मुख्य ध्यान क्षेत्र और देश के भीतर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना है। इस वक्त वे अफगानिस्तान और पाकिस्तान से किसी भी तरह की बकवास नहीं चाहते इसलिए वे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हैं," मध्य पूर्व जानकार कहते हैं।

पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों पर बात करते हुए रक्षा विशेषज्ञ कमर आग़ा कहते हैं कि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन समूहों को लंबे समय से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा वित्त पोषित और प्रशिक्षित किया गया है। वे समूह भारत और अफगानिस्तान में सक्रिय हैं।

"पाकिस्तान ने मध्य एशियाई गणराज्यों में स्थित अन्य आतंकवादी समूहों का भी समर्थन किया है। सभी के पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में स्थिति से निपटने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए NSA बैठकों के माध्यम से भारत, ईरान और मध्य एशियाई देशों के बीच कुछ प्रकार की समझ बनी है," आग़ा कहते हैं।

ईरान द्वारा तीनों देशों में किये गए ताज़ा हमलों को देखते हुए वरिष्ठ पत्रकार आग़ा से पुछा गया कि क्या ईरान अमेरिका और सहयोगियों को यह संदेश दे रहा है कि अगर उसके हितों को खतरा हुआ तो वह पूर्ण युद्ध के लिए तैयार है? तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि ईरान की नीति देश के अंदर और बाहर ऐसे आतंकवादी समूहों से सख्ती से निपटने की है। इज़राइल-हमास युद्ध, हौथी लाल सागर में वाणिज्यिक शिपिंग पर हमास और फिलिस्तीन का समर्थन और हिजबुल्ला फिलिस्तीन के साथ एकजुटता के साथ ईरान सामने आया है।

"ईरान और हिजबुल्ला के बीच आए दिन फायरिंग होती रहती है, इसके अलावा समय-समय पर इनके बीच टकराव देखने को मिलता रहता है। फारस की खाड़ी में अमेरिकी तैनाती के परिणामस्वरूप ईरान ने इन समूहों को प्रतिरोध का हिस्सा कहा जो क्षेत्र की अमेरिकी इज़राइल नीति का विरोध करते थे। हालांकि, ईरान युद्ध नहीं चाहता है लेकिन ऐसा लगता है कभी-कभी आप नहीं जानते कि यह ट्रिगर हो जाएगा," कमर आग़ा ने कहा।

हालांकि ईरान के हमलों के कुछ घंटे बाद पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने दावोस में ईरान के विदेश मंत्री से मुलाकात की, इसके साथ साथ पाकिस्तान के अनवर उल हक काकर ने विश्व आर्थिक मंच के मौके पर ईरान के होसैन अमीर-अब्दुल्लाहिल से मुलाकात की थी।
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