"क़तर ऊर्जा सुरक्षा में भारत का महत्वपूर्ण भागीदार है। साथ ही वहाँ बड़ी संख्या में भारतीय भी रहते हैं। क़तर के शेख तमीम, पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद भारत आने वाले पहले खाड़ी नेता थे। भारत ने हमेशा कानून का और कानून की उचित प्रक्रिया का सम्मान किया है। भारत और क़तर के संबंधों की क्षमता के आधार पर यह एक बहुत अच्छा निर्णय लिया गया है," राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा।
इसके साथ Sputnik India ने अनिल त्रिगुणायत से सवाल किया कि ऐसी क्या वजह रही कि इन्हें रिहा कर दिया गया।
"दो देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके रिश्ते कैसे हैं? साथ ही जनता के स्तर पर भारी असंतोष भी एक मुद्दा बन जाता है। और इन मुद्दों से छुटकारा पाना कूटनीति का एक बहुत ही खास मकसद है। दोनों देशों ने बखूबी अपना रिश्ता निभाया है। क़तर ने हर बार चाहे वह मामला इज़राइल के बारे में हो, या तालिबान* के बारे में, चाहे किसी अन्य मुद्दे पर हो, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति का बहुत अच्छा इस्तेमाल किया है। साथ ही उन्होंने यह भी दिखाया है कि देशों के बीच अनावश्यक विवादों को कैसे ख़त्म किया जाए," त्रिगुणायत ने टिपण्णी की।
"यह एक खास और अलग मामला था, जिसमें मैं समझता हूं कि गलतफहमियां, गलत धारणाएं, गलत रिपोर्टिंग, साथ ही गलत सूचना भी हो सकती हैं। तो इसी वजह से यह स्थिति यहाँ तक पहुंची है। खाड़ी देशों के सभी नेताओं का मानना है कि वहां काम करने वाले भारत के लोग उनके देशों के विकास में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। और भारतीय सैनिक, सैन्य सेवा के सभी लोग, सेवानिवृत्ति के बाद भी बहुत अनुशासित रहते हैं," त्रिगुणायत ने बताया।