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आठ भारतीयों की रिहाई भारत की कूटनीतिक जीत और क़तर के साथ मजबूत रिश्तों का सबूत: विशेषज्ञ

© Photo : Twitter/@narendramodiIndian Prime Minister Narendra Modi met Qatar’s Emir Sheikh Tamim bin Hamad Al Thani in Dubai on the margins of United Nations (UN) Climate Change Conference (COP28).
Indian Prime Minister Narendra Modi met Qatar’s Emir Sheikh Tamim bin Hamad Al Thani in Dubai on the margins of United Nations (UN) Climate Change Conference (COP28). - Sputnik भारत, 1920, 12.02.2024
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भारत ने 12 फरवरी को उन आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत किया, जिन्हें 30 अगस्त, 2022 को क़तर में गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर 2023 को मौत की सजा सुनाई गई थी।
संयुक्त अरब अमीरात की दो दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटते समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतर का दौरा करेंगे, विदेश सचिव क्वात्रा ने आज सुबह 7 भारतीय नौसेना के दिग्गजों के लौटने के कुछ घंटों बाद घोषणा की।
Sputnik India के सवाल का जवाब देते हुए कि क्या आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई भारत की कूटनीतिक जीत है, भारत के पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा, "निःसंदेह, यह जीत है और इस समन्वय का प्रयास भारत द्वारा पहले दिन से ही किया जा रहा है। लेकिन इसके अलावा यह देखने को मिला कि भारत और क़तर के बीच काफी मजबूत रिश्ते हैं।"

"क़तर ऊर्जा सुरक्षा में भारत का महत्वपूर्ण भागीदार है। साथ ही वहाँ बड़ी संख्या में भारतीय भी रहते हैं। क़तर के शेख तमीम, पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद भारत आने वाले पहले खाड़ी नेता थे। भारत ने हमेशा कानून का और कानून की उचित प्रक्रिया का सम्मान किया है। भारत और क़तर के संबंधों की क्षमता के आधार पर यह एक बहुत अच्छा निर्णय लिया गया है," राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा।

दरअसल 30 अगस्त, 2022 को क़तर में दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर 2023 को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। 28 दिसंबर, 2023 को इनकी मौत की सजा को कैद में बदल दिया गया था।

इसके साथ Sputnik India ने अनिल त्रिगुणायत से सवाल किया कि ऐसी क्या वजह रही कि इन्हें रिहा कर दिया गया।

"दो देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके रिश्ते कैसे हैं? साथ ही जनता के स्तर पर भारी असंतोष भी एक मुद्दा बन जाता है। और इन मुद्दों से छुटकारा पाना कूटनीति का एक बहुत ही खास मकसद है। दोनों देशों ने बखूबी अपना रिश्ता निभाया है। क़तर ने हर बार चाहे वह मामला इज़राइल के बारे में हो, या तालिबान* के बारे में, चाहे किसी अन्य मुद्दे पर हो, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति का बहुत अच्छा इस्तेमाल किया है। साथ ही उन्होंने यह भी दिखाया है कि देशों के बीच अनावश्यक विवादों को कैसे ख़त्म किया जाए," त्रिगुणायत ने टिपण्णी की।

इसके अलावा Sputnik India ने भारत के पूर्व राजदूत से सवाल किया कि क्या अब से सैन्य कर्मियों को बाहर ऐसी नौकरी करने में कोई झिझक होगी? तब उन्होंने कहा कि "मैं ऐसा नहीं सोचता, क्योंकि सभी खाड़ी देश चाहते हैं कि पूर्व सैनिक उनके देशों में आकर मदद करें। और भारत कई जगहों पर ऐसा कर रहा है।"

"यह एक खास और अलग मामला था, जिसमें मैं समझता हूं कि गलतफहमियां, गलत धारणाएं, गलत रिपोर्टिंग, साथ ही गलत सूचना भी हो सकती हैं। तो इसी वजह से यह स्थिति यहाँ तक पहुंची है। खाड़ी देशों के सभी नेताओं का मानना है कि वहां काम करने वाले भारत के लोग उनके देशों के विकास में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। और भारतीय सैनिक, सैन्य सेवा के सभी लोग, सेवानिवृत्ति के बाद भी बहुत अनुशासित रहते हैं," त्रिगुणायत ने बताया।

भारत और क़तर घनिष्ठ सहयोगी हैं। दिल्ली ने हाल ही में 2048 के अंत तक दोहा से तरलीकृत प्राकृतिक गैस आयात करने के लिए 78 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
*संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी गतिविधि के लिए प्रतिबंधित है।
A view of the Doha skyline is seen in Doha, Qatar - Sputnik भारत, 1920, 12.02.2024
राजनीति
कतर ने जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को छोड़ा, भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत
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