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वायु सेना को रडार, क्लोज-इन हथियार सिस्टम के लिए 13,000 करोड़ के सौदे को स्वीकृति: रिपोर्ट

इससे पहले Su-30MKI लड़ाकू जेट के बेड़े को एक बड़े अपडेट के लिए रक्षा मंत्रालय से स्वीकृति दी गई है। 60,000 करोड़ रुपये की परियोजना का लक्ष्य नए रडार, मिशन नियंत्रण प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं और हथियार प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से विमान की क्षमताओं को बढ़ाना है।
Sputnik
भारत की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने भारतीय वायु सेना की रक्षा और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लगभग 13000 करोड़ के नए उच्च-शक्ति रडार और क्लोज-इन हथियार सिस्टम (CIWS) के लिए लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के साथ सौदे को स्वीकृति दी है।

भारतीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन प्रणालियों का उद्देश्य भारत की सीमाओं पर रडार के तत्कालिक नेटवर्क को परिवर्तित कर उनकी शक्ति बढ़ाना है। इसके साथ साथ मेड इन इंडिया क्लोज-इन वेपन सिस्टम प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगभग 7,000 करोड़ रुपये के वायु रक्षा बंदूकों के डेरिवेटिव को भी स्वीकृति दे दी गई है, इसके बाद भारत की महत्वपूर्ण संपत्तियों को विमानों और ड्रोन के हमलों के विरुद्ध मजबूत सुरक्षा मिलेगी।
लार्सन एंड टुब्रो कंपनी विभिन्न भारतीय लघु और मध्यम उद्यमों के सहयोग से नए रडार और CIWS का उत्पादन करेगा, जिसकी वजह से रक्षा क्षेत्र में अधिक नौकरियां उत्पन्न करने में सहायता मिलेगी। ये सौदा सीमाओं पर लगे रडारों की सीमा को बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने मे सहायता करेगा।

भारतीय वायुसेना व्यापक क्षेत्र कवरेज सुनिश्चित करने के लिए अगले चरण में पूर्णतः स्वदेशी प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, चरणों में पर्याप्त संख्या में रडार नियुक्त करने के लिए तैयार है।
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