पी के घोष ने बताया, "अंतरिक्ष क्षेत्र में निजीकरण पर ध्यान दिया जा रहा है। विश्व भर के बड़े बड़े व्यपारी अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। सरकारों को यह पता चल गया है कि निजीकरण भविष्य है, इसलिए केंद्र ने देश के बहुत सारे स्टार्टअप को बढ़ावा दिया है। इसी का परिणाम है कि अग्नीकुल सहित अन्य स्टार्टअप क्षेत्र में बढ़चड़कर कार्य कर रहे हैं।"
अंतरिक्ष रणनीतिकार घोष ने कहा, "भारतीय कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने 3-डी मुद्रित क्रायोजेनिक इंजन भी बनाया। एक तरफ से इसरो और दूसरी तरफ से सरकार इनकी सहायता कर रही है, क्योंकि यह भविष्य है। देश में बहुट सारी निजी कंपनियां देश के अंतरिक्ष प्रोग्राम में जुड़ गए हैं। और इनका बहुत बड़ा योगदान भी है।"
अंतरिक्ष रणनीतिकार ने कहा, "सरकार ने भविष्य को देखते हुए यह 100 प्रतिशत FDI किया है, जहां तक है कि कोर तकनीक इसरो के हाथ में ही होगी। वह दिन दूर नहीं जब आप देखेंगे कि PSLV का भी निजीकरण हो जाए। अंतरिक्ष अनुसंधान का भविष्य निजीकरण पर टिका होगा। मोदी सरकार ने समझते हुए कई संस्थाएं भी बनाई हैं जो इसमें सहायता करेंगी। इससे आने वाले समय में हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान को काफी बढ़ावा मिलेगा।"
घोष ने बताया, "यह सामान्य है और यही भविष्य है। विदेशी निवेश के बाहर से आने के बाद इसरो को तकनीकी क्षेत्र में भी लाभ होगा। भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए काम कर रहे निजी स्टार्टअप के CEO के साथ मैंने इस बात कर चर्चा भी की है और वह सब पूरी तरह विश्वास से भरे हैं कि निजीकरण के साथ मिलकर भारत का अंतरिक्ष भविष्य उज्जवल होगा।"