भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख एस सोमनाथ के अनुसार अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल अगले कुछ वर्षों में लॉन्च किया जा सकता है।
दरअसल इसरो ने पहले ही अंतरिक्ष स्टेशन के लिए तकनीक विकसित करना शुरू कर दिया है। अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2 से 4 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जा सकता है।
अब तक केवल रूस, अमेरिका और चीन ने ही अंतरिक्ष स्टेशन कक्षा में भेजे हैं। भारत अंतरिक्ष में स्वतंत्र अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला चौथा देश बन सकता है।
तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक डॉ. उन्नीकृष्णन नायर ने कहा, "काम जोरों पर है और घटकों को पृथ्वी से लगभग 400 किमी की कक्षा में स्थापित करने के लिए भारत के सबसे भारी रॉकेट, बाहुबली या लॉन्च व्हीकल मार्क 3 का उपयोग करने की योजना है।"
भारत को उम्मीद है कि वह खगोल विज्ञान प्रयोगों सहित अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी प्रयोग करेगा और चंद्रमा की सतह पर आवास की संभावना का पता लगाने के लिए इस मंच का उपयोग करेगा।
शुरुआती अनुमान के मुताबिक अंतरिक्ष स्टेशन का वजन लगभग 20 टन हो सकता है। यह ठोस संरचनाओं से बना होगा, लेकिन इसमें इन्फ्लेटेबल मॉड्यूल भी जोड़े जा सकते हैं। अंतिम संस्करण लगभग 400 टन तक जा सकता है।
बता दें कि अंतरिक्ष विजन 2047 के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक चालू करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है।