लवरोव ने कहा, "मेरे मित्र भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से एक बार संयुक्त राष्ट्र में पश्चिम के प्रतिनिधियों ने पूछा था कि उन्होंने रूस से इतना अधिक तेल क्यों खरीदना शुरू कर दिया। तब विदेश मंत्री जयशंकर ने उन्हें सलाह दी कि वे उनके मामलों में हस्तक्षेप न करें और अपनी खरीदारी की मात्रा पर ध्यान दें। यह राष्ट्रीय गरिमा का विषय है।"
साथ ही उन्होंने पश्चिम की तर्कहीन राजनीति का उदाहरण देते हुए कहा कि रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन को 250 बिलियन डॉलर की सहायता दी गई है। वहीं इस अवधि के दौरान अफ्रीका को पश्चिम से पूरे महाद्वीप के लिए लगभग 60 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए।
इसके अलावा लवरोव ने संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा सचिव द्वारा यूक्रेन के हारने के बाद NATO के युद्ध लड़ने वाला बयान को बताया।
लवरोव ने लॉयड लॉयड ऑस्टिन के शब्दों को दोहराया जिसमें लॉयड ने कहा था कि यूक्रेन हारा तो NATO को लड़ना होगा।
क्या संयुक्त राष्ट्र ईमानदारी से काम कर रहा है?
आगे लवरोव ने तत्कालीन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के फुल्टन भाषण को याद करते हुए कहा कि उनके भाषण से पश्चिम की ईमानदारी के बारे में सब कुछ पहले ही स्पष्ट हो गया था। और मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र की अवधारणा अभी भी व्यवहार्य है यदि आप बताई गई सभी बातों को ईमानदारी से पूरा करते हैं।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि एक बहुध्रुवीय दुनिया का निर्माण, जो अधिकांश लोगों के लिए अधिक ईमानदार और निष्पक्ष हो, अपरिहार्य और ऐतिहासिक रूप से आवश्यक है। वहीं विदेश मंत्री लवरोव ने भी बहुध्रुवीय दुनिया की आवश्यकता पर जोर दिया।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्ण प्रवर्तन पर बहुध्रुवीयता का निर्माण किया जाना चाहिए। ब्रिक्स एक वैश्विक एकीकरण प्रक्रिया है जो सर्वसम्मति के आधार पर कई वर्षों से विकसित हो रही है। इसकी प्राथमिकता धुरी हितों का संतुलन है।"
अंत में लवरोव ने कहा कि यूरो-अटलांटिक सुरक्षा प्रणाली विफल हो गई है, और पश्चिम ने विशेष सैन्य अभियान से कुछ साल पहले ही OSCI के सिद्धांतों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया था।