फिलिप्पोट ने कहा, "पश्चिम इस बारे में बात नहीं करना चाहता, क्योंकि वे यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि अब दुनिया दूसरी है। एक अधिक संतुलित दुनिया जो कि ब्रिक्स है, यह एक सच्चाई है। अमेरिकी साम्राज्यवाद की एकध्रुवीय दुनिया खत्म हो गयी है। यह सैन्य, जनसांख्यिकीय और आर्थिक हर दृष्टिकोण से ख़त्म हो चुकी है। ब्रिक्स देशों की जीडीपी जी7 देशों की जीडीपी से अधिक हो गई, जो बहुत प्रतीकात्मक है।"
उन्होंने कहा, "पहली आवश्यक बात, इस नई संतुलित दुनिया में खुद को महसूस करना है, और यह दुनिया नाटो के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती है, क्योंकि नाटो पुरानी दुनिया का अवशेष है। जिस प्रकार वारसॉ संधि के समकक्ष अब कोई नहीं हो सकता।"
राजनेता ने कहा, "आज कौन फ़िलिस्तीनी-इज़राइली संघर्ष को सुलझाने की कोशिश कर रहा है? कौन अधिक संतुलित बयानबाजी करने की कोशिश कर रहा है? ये ब्रिक्स देश हैं, उदाहरण के लिए, ब्राज़ील। बीस से पच्चीस साल पहले फ्रांस यह भूमिका निभा सकता था। लेकिन बैटन पर अब दक्षिण के देशों ने कब्जा कर लिया है। मुझे खेद है कि फ्रांस चुप है और इस मुद्दे पर संयुक्त राज्य अमेरिका का अनुसरण कर रहा है।"