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जब तक नाटो अस्तित्व में है, तब तक स्थायी सुरक्षा व्यवस्था बनाना संभव नहीं: फ्रांसीसी राजनेता
जब तक नाटो अस्तित्व में है, तब तक स्थायी सुरक्षा व्यवस्था बनाना संभव नहीं: फ्रांसीसी राजनेता
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ब्रिक्स के प्रभाव को न पहचानने के लिए पश्चिम नई सुरक्षा संरचना पर बातचीत करना नहीं चाहता है
2024-03-12T15:05+0530
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फिलिप्पोट ने Sputnik के साथ बात करते हुए कहा कि ब्रिक्स के प्रभाव को अनदेखा करके पश्चिम नई सुरक्षा संरचना पर बातचीत करना नहीं चाहता, लेकिन एकध्रुवीय दुनिया खत्म हो गई है।इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब "अंतरराष्ट्रीय व्यापार और यहाँ तक कि कूटनीति में भी पुनर्संतुलन हो रहा है। शक्ति संतुलन में परिवर्तन "जनसांख्यिकीय, आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य कारणों से तेजी से स्पष्ट होगा।"साथ ही उन्होंने कहा कि "हमें उन संस्थानों और देशों की पहचान करनी चाहिए जो इस बातचीत को शुरू करने के इच्छुक हैं, ताकि उन संस्थानों को फिर से स्थापित किया जा सके जो उत्तर और दक्षिण के देशों के बीच बातचीत और सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे वैश्विक सुरक्षा में सुधार होगा, इसके विपरीत, यूरोप में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को मजबूत करने से तनाव ही बढ़ेगा।"गौरतलब है कि जनवरी में, बैंक ऑफ रशिया के प्रमुख एलविरा नबीउलीना ने Sputnik के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि 2023 में क्रय शक्ति समानता पर ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी विश्व सकल घरेलू उत्पाद में 31 से बढ़कर 35% हो गई, जो जी7 की हिस्सेदारी से अधिक है।
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अमेरिकी साम्राज्यवाद, एकध्रुवीय दुनिया, ब्रिक्स के प्रभाव, ब्रिक्स देशों की जीडीपी, नाटो के साथ सह-अस्तित्व, वैश्विक सुरक्षा, फ़िलिस्तीनी-इज़राइली संघर्ष, ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी, विश्व सकल घरेलू उत्पाद, जी7 की हिस्सेदारी, अमेरिकी सैन्य अड्डा, विश्व सकल घरेलू उत्पाद, वारसॉ संधि, नई सुरक्षा संरचना, यूरोपीय संसद के चुनाव
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जब तक नाटो अस्तित्व में है, तब तक स्थायी सुरक्षा व्यवस्था बनाना संभव नहीं: फ्रांसीसी राजनेता
विश्व में नई सुरक्षा व्यवस्था नाटो या वारसॉ संधि जैसे सैन्य गुटों के बिना होनी चाहिए, यूरोपीय संसद के चुनाव में फ्रांसीसी पैट्रियट्स पार्टी के उम्मीदवार फ्लोरियन फिलिप्पोट ने Sputnik को बताया।
फिलिप्पोट ने Sputnik के साथ बात करते हुए कहा कि ब्रिक्स के प्रभाव को अनदेखा करके पश्चिम नई सुरक्षा संरचना पर बातचीत करना नहीं चाहता, लेकिन एकध्रुवीय दुनिया खत्म हो गई है।
फिलिप्पोट ने कहा, "पश्चिम इस बारे में बात नहीं करना चाहता, क्योंकि वे यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि अब दुनिया दूसरी है। एक अधिक संतुलित दुनिया जो कि ब्रिक्स है, यह एक सच्चाई है। अमेरिकी साम्राज्यवाद की एकध्रुवीय दुनिया खत्म हो गयी है। यह सैन्य, जनसांख्यिकीय और आर्थिक हर दृष्टिकोण से ख़त्म हो चुकी है। ब्रिक्स देशों की जीडीपी जी7 देशों की जीडीपी से अधिक हो गई, जो बहुत प्रतीकात्मक है।"
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब "अंतरराष्ट्रीय व्यापार और यहाँ तक कि कूटनीति में भी पुनर्संतुलन हो रहा है। शक्ति संतुलन में परिवर्तन "जनसांख्यिकीय, आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य कारणों से तेजी से स्पष्ट होगा।"
उन्होंने कहा, "पहली आवश्यक बात, इस नई संतुलित दुनिया में खुद को महसूस करना है, और यह दुनिया नाटो के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती है, क्योंकि नाटो पुरानी दुनिया का अवशेष है। जिस प्रकार वारसॉ संधि के समकक्ष अब कोई नहीं हो सकता।"
साथ ही उन्होंने कहा कि "हमें उन संस्थानों और देशों की पहचान करनी चाहिए जो इस बातचीत को शुरू करने के इच्छुक हैं, ताकि उन संस्थानों को फिर से स्थापित किया जा सके जो उत्तर और दक्षिण के देशों के बीच बातचीत और सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे वैश्विक सुरक्षा में सुधार होगा, इसके विपरीत, यूरोप में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को मजबूत करने से तनाव ही बढ़ेगा।"
राजनेता ने कहा, "आज कौन फ़िलिस्तीनी-इज़राइली संघर्ष को सुलझाने की कोशिश कर रहा है? कौन अधिक संतुलित बयानबाजी करने की कोशिश कर रहा है? ये ब्रिक्स देश हैं, उदाहरण के लिए, ब्राज़ील। बीस से पच्चीस साल पहले फ्रांस यह भूमिका निभा सकता था। लेकिन बैटन पर अब दक्षिण के देशों ने कब्जा कर लिया है। मुझे खेद है कि फ्रांस चुप है और इस मुद्दे पर संयुक्त राज्य अमेरिका का अनुसरण कर रहा है।"
गौरतलब है कि जनवरी में, बैंक ऑफ रशिया के प्रमुख एलविरा नबीउलीना ने Sputnik के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि 2023 में क्रय शक्ति समानता पर
ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी विश्व सकल घरेलू उत्पाद में 31 से बढ़कर 35% हो गई, जो जी7 की हिस्सेदारी से अधिक है।