भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को उत्तराखंड राज्य के समान नागरिक संहिता (UCC) पर सहमति दे दी, इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ समान नागरिक संहिता प्रभावी रूप से कानून बन गया है।
यह विधेयक 7 फरवरी को राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था। यह कानून राज्य के सभी नागरिकों को उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानून प्रस्तुत करता है। यह विधेयक बहुविवाह, बहुपतित्व, हलाला और तलाक जैसी प्रथाओं को संबोधित करता है। इसके अलावा यह संपत्ति के अधिकार, समान विवाह योग्य आयु और समान विरासत अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
राज्य में इस कानून के मुताबिक अगर लिव-इन पार्टनर जानकारी छिपाते हैं या अंडरटेकिंग में गलत बयान देते हैं, तो उन्हें तीन महीने तक की जेल और 25,000 रुपये से अधिक जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। यहाँ तक कि पंजीकरण में एक महीने से भी कम की देरी पर तीन महीने तक की जेल, 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
उत्तराखंड UCC के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में छोड़ी गई महिला अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है और भरण-पोषण का दावा कर सकती है। इन प्रावधानों के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले बच्चे को जोड़े का वैध बच्चा घोषित किया जाएगा।