व्यापार और अर्थव्यवस्था

भारत ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु नई ई-वाहन नीति को दी स्वीकृति

भारत सरकार ने देश को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से कर राहत के साथ एक नई इलेक्ट्रिक वाहन योजना को हरी झंडी दे दी है।
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इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए विनिर्माण पावरहाउस के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में, केंद्र सरकार ने ईवी क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक व्यापक योजना को हरी झंडी दी है, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा।

"यह नीति प्रतिष्ठित वैश्विक ईवी निर्माताओं द्वारा ई-वाहन क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई है," सरकार ने एक बयान में कहा।

नई स्वीकृत ई-वाहन नीति का व्यापक उद्देश्य भारत में ईवी के विनिर्माण को सुविधाजनक बनाना है, जिससे मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करते हुए भारतीय उपभोक्ताओं को अत्याधुनिक तकनीक तक पहुंच प्रदान की जा सके।
हालांकि इस योजना के लिए न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये के निवेश करना अनिवार्य है, परंतु आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत में स्थानीय स्तर पर उत्पादित होने वाली उन्नत तकनीक के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए ईवी निर्माताओं के निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

"हम वैश्विक कंपनियों को भारत आने के लिए आमंत्रित करते हैं। मुझे विश्वास है कि भारत ईवी विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बन जाएगा और इससे नौकरियां उत्पन्न होंगी और व्यापार में सुधार होगा," केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा।

साथ ही उन्होंने कहा कि इस कदम से उन उपभोक्ताओं को लाभ होगा जिन्हें सस्ती कीमत पर ईवी मिलेंगी।
बता दें कि भारत का ईवी बाज़ार छोटा है, वर्ष 2023 में भारत में कुल कारों की बिक्री में इलेक्ट्रिक मॉडलों की हिस्सेदारी लगभग 2% थी जिसे केंद्र सरकार 2030 तक इसे बढ़ाकर 30% करना चाहती है।
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