विशेषज्ञ ने कहा, "रूसी तेल के आयात के कारण भारत सरकार को होने वाला अप्रत्याशित लाभ निश्चित रूप से इस स्तर पर कीमत में कटौती को लागू करने की अनुमति देने वाला एक कारक है।"
विशेषज्ञ ने कहा, "इन कारकों के चलते आगे चलकर रूसी कच्चे तेल पर प्रीमियम में वृद्धि हो सकती है। लेकिन पिछली वित्तीय तिमाहियों में रूस से कच्चे तेल के आयात के रुझान को देखते हुए, मेरा मानना है कि भारत में रूसी तेल आयात आगे भी जारी रहने की संभावना है। भले ही इस पर प्रीमियम ऊपर की ओर बढ़ता रहे।"
अर्पित ने जोर देकर कहा, "हम नए रास्ते भी सामने आते देख सकते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि आने वाले महीनों में रूसी क्रूड भारत के लिए सबसे अच्छे और सबसे व्यवहार्य विकल्पों में से एक बना रहेगा।"
कीमत में कटौती के बारे में क्या महत्वपूर्ण है?
अर्पित ने कहा, कीमतों में कटौती के सरकार के फैसले से निश्चित रूप से ईंधन पर सरकारी व्यय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, इससे खर्च में आसानी होगी और उपभोक्ता पक्ष की मांग में वृद्धि होगी।"